पिछले 6 माह से स्थानीय महेन्द्र सागर तालाब से जमकर मुरम का खनन किया जा रहा था। इसे लेकर स्थानीय लोगों द्वारा कई बार तालाब का स्वरूप बिगडऩे को लेकर चिंता भी जाहिर की गई थी और बताया जा रहा था कि यह पूरा खनन अवैध तरीके से किया जा रहा है। इसे लेकर कुछ लोगों ने जहां शासन स्तर पर शिकायत दर्ज कराई थी तो वहीं कांग्रेस नेता यादवेन्द्र सिंह बुंदेला ने मछुआ समुदाय के लक्ष्मण रैकवार से इसकी शिकायत एनजीटी से करवाई थी। शासन स्तर से इसकी जांच के निर्देश दिए गए थे। इस पर कलेक्टर के निर्देशन पर मंगलवार को पांच विभाग की संयुक्त टीम ने इसकी जांच शुरू कर दी है।
कलेक्टर के निर्देशन पर एसडीएम सीपी पटेल ने खनिज विभाग, पीडब्लूडी, सिंचाई विभाग, नगर पालिका एवं राजस्व विभाग की टीम का गठन कर इसकी जांच शुरू कराई है। मंगलवार की शाम 5.30 बजे के लगभग तालाब पर पहुंची इस टीम ने जांच शुरू कर दी है। बताया जा रहा है कि यहां पर हजारों वर्ग फीट एरिया में खुदाई की गई है। खुदाई का आलम यह है कि यहां पर बनी खदानों में सीधे डम्फर ही समाने लगे है। मंगलवार को शुरू हुई जांच में कितने क्षेत्र में खनन पाया गया है, इसकी जानकारी कोई देने को तैयार नहीं है।
विदित हो कि यह तालाब सिंचाई विभाग के अधीन है। सिंचाई विभाग के ईई आरएन यादव का कहना है कि यहां पर सौंदर्यीकरण के लिए नगर पालिका ने अनुमति मांगी थी। नपा द्वारा यहां पर तालाब के बीच में स्थित लंका तक सड़क निर्माण करने के साथ ही सौंदर्यीकरण किया जाना था। इसके अलावा उन्हें कोई जानकारी नहीं है। विदित हो कि यहां से बड़ी मात्रा में मुरम का खनन कर शहर में कई स्थानों पर उसे भेजा गया है। अब यह खनन किसके द्वारा किया गया गया है, इसकी जानकारी कोई देने को तैयार नहीं है। जांच करने गए सभी अधिकारी भी कुछ भी कहने से बच रहे है।
विदित हो कि दो दिन पूर्व तक तालाब में बायपास मार्ग पर पुरानी टेहरी की ओर तो तालाब में लंका के आगे वाले हिस्से में मशीनों से जमकर खुदाई की जा रही थी। वहीं मंगलवार को यहां पर टीम को कोई वाहन नहीं मिला। इससे साफ है कि खनन करने वालों को इसकी सूचना पहले से ही मिल गई थी।
मंगलवार को ही कांग्रेस नेता एवं पूर्व मंत्री यादवेन्द्र सिंह बुंदेला ने आरोप लगाए थे कि भाजपा के नेताओं द्वारा क्षेत्र में जमकर अवैध खनन किया जा रहा है। इसे लेकर उनके द्वारा एनजीटी में शिकायत की गई है और वह इस मामले में आगे कार्रवाई करेंगे। वहीं शाम को प्रशासन की टीम ने यहां पर जांच शुरू कर दी है। एनजीटी में लगाई गई याचिका में बताया गया है कि यह तालाब शहर की जीवन रेखा है।