विदित हो कि बानसुजारा बांध के डूब क्षेत्र में वन विभाग की काफी जमीन आई थी। वन भूमि के कक्ष क्रमांक पी 86 में लगे 2600 पेड़ों को काटने के निर्देश केन्द्र सरकार द्वारा दिए गए थे। इन पेड़ों को काटने के निर्देश देते हुए केन्द्र सरकार ने इसकी लकड़ी को सुरक्षित तरीके से परिवहन कर डिपो में रखवाने के भी निर्देश दिए थे। इसके बाद वन विभाग ने इन पेड़ों को कटवा लिया था।
डिपो नहीं पहुंची लकड़ी: डूब क्षेत्र में आने वाले इन पेड़ों को कटवाने के बाद इनकी लकड़ी को वन विभाग की डिपो में नहीं भेजा गया था। इतने अधिक पेड़ों की लकड़ी कहां गई, इस संबंध में अब कोई भी अधिकारी कुछ भी कहने से परहेज कर रहा हैं। विदित हो कि जब बानसुजारा का निर्माण चल रहा था और इन पेड़ों की कटाई का सिलसिला शुरू हुआ था, उस समय यहां पर तीन रेंजर पदस्थ रहे हैं। लेकिन कोई भी यह बताने को तैयार नहीं हैं कि आखिर इन पेड़ों एवं इसकी लकड़ी का हुआ क्या हैं।
पत्रिका ने उठाया था मामला: विदित हो कि इस मामले को सबसे पहले पत्रिका ने उठाया था। पत्रिका ने अपने 19 मई 2019 के अंक में इस खबर को प्रमुखता से प्रकाशित किया था। खबर प्रकाशन के बाद तत्कालीन डीएफओ चंद्रशेखर शुक्ला ने संबंधित रेंजरों को नोटिस भी जारी करने की बात कहीं थी, वहीं इसकी फाइल भी तलब की थी। लेकिन कुछ दिन बाद ही इनका स्थानांतरण हो गया।
की गई थी शिकायत: इसके बाद इस मामले की बल्देवगढ़ के कुछ लोगों ने सीसीएफ छतरपुर से शिकायत की थी। इस मामले में वन विभाग के अहार क्षेत्र के पूर्व वीट गार्ड धनेन्द्र खरे ने शिकायत की थी। शिकायत के बाद जब इस मामले की जांच शुरू हुई तो इन पर शिकायत वापस लेने का दबाव बनाया गया। फिर इसकी शिकायत बहादुर सिंह बुंदेला द्वारा की गई। बहादुर सिंह बुंदेला की शिकायत के बाद टीम ने यहां पर आकर जांच शुरू कर दी हैं।
मिली 8 बैलगाड़ी लकड़ी: शुक्रवार को काटे गए पेड़ों की जांच करने आए छतरपुर के रेंजर रवि कुमार मिश्रा, बसंतलाल अहिरवार एवं राममिलन पाण्डे ने बल्देवगढ़ डिपो की जांच की। यहां पर तैनात कर्मचारियों ने टीम को काटे गए पेड़ों की लकड़ी दिखाई। यहां पर टीम को महज 8 बैलगाड़ी लकड़ी ही मिली हैं। यह भी बहुत पुरानी हैं। इस लकड़ी को देखकर टीम संतुष्ट नहीं हुई।
अधिकारियों ने किया फोन बंद: वहीं जांच करने आई टीम को यहां पर कोई भी जबावदार अधिकारी नहीं मिला। टीम ने यहां पर डिप्टी रेंजर किशोरीलाल गौड़ को फोन लगाया तो बंद मिला। वहीं दूसरा नंबर लगाने पर उनकी पत्नी ने फोन उठाया। जांच के दौरान रेंजर भी यहां पर नहीं दिखे।
आखिर कहां गई लकड़ी: विदित हो कि बानसुजारा बांध के लिए 2600 विशाल पेड़ काटे गए थे। इन पेड़ों के कटने से लाखों की लकड़ी निकली थी। यह लकड़ी यदि वन विभाग के पास नहीं पहुंची तो आखिर कहां गई। यह यक्ष प्रश्र हल होता नहीं दिखाई दे रहा हैं। वहीं सूत्रों की माने तो यह पूरी लकड़ी खुर्दबुर्द की गई हैं।
कहते हैं अधिकारी: यहां पर केवल 8 बैलगाड़ी ही लकड़ी मिली हैं। इस संबंध में संबंधित अधिकारियों से बात नहीं हो सकी हैं। अब इन पेड़ों की पूरी फाइल मंगाई जाएगी। इसमें कौन-कौन से पेड़ थे, कितने लंबे-चौड़े थे, सारी जानकारी होगी। उसके बाद आगे की जांच की जाएगी।- रवि कुमार मिश्रा, जांच दल प्रभारी एवं रेंजर छतरपुर।