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टीकमगढ़

जिला अस्पताल की सोनोग्राफी के लिए प्रतिदिन ३० से अधिक आ रहे मरीज

एक दिन में ३ से ५ मरीजों की हो रही सोनोग्राफी, निजी सेंटर पर कराने को मजबूर

टीकमगढ़May 09, 2024 / 11:08 am

akhilesh lodhi

एक दिन में ३ से ५ मरीजों की हो रही सोनोग्राफी, निजी सेंटर पर कराने को मजबूर

एक दिन में ३ से ५ मरीजों की हो रही सोनोग्राफी, निजी सेंटर पर कराने को मजबूर

टीकमगढ़. जिला अस्पताल को लंबे इंतजार के बाद सोनोग्राफ ी की सुविधा मिली थी, लेकिन अभी नाकाफ ी है। सोनोग्राफ ी कराने के लिए महिलाओं को कई दिनों तक इंतजार करना पड़ रह रहा है। अस्पताल में सोनोग्राफ ी कराने आई गर्भवती महिलाओं को न केवल लंबा इंतजार करना पड़ता है बल्कि कई दिनों तक अस्पताल के चक्कर भी काटने पड रहे है। ऐसे में महिलाओं को काफ ी परेशानी झेलना पड़ रही है। खास बात यह है कि जिला अस्पताल प्रबंधन मरीजों की समस्याओं को गंभीरता से नहीं ले रहा।
जिला अस्पताल के मातृ एवं शिशु इकाई एमसीएच विंग में सोनोग्राफ ी का पर्याप्त इंतजाम है। यहां एक दिन में ३ से ५ महिलाओं की सोनोग्राफ ी होती है। जबकि मरीजों की संख्या दर्जनों में पहुंच रही है। यहां पर प्रतिदिन 3० से 40 मरीज सोनोग्राफ ी के लिए आते है। ऐसे में कई मरीजों को निजी अस्पताल में जेब ढीली कर सोनोग्राफ ी कराने को मजबूर होना पड़ रहा है। इस समस्या को लेकर जिला प्रशासन भी बेखबर बना हुआ है।
मरीज बढऩे पर बढ़ जाती है परेशानियां
जिला अस्पताल में सोनोग्राफ ी की मशीन वर्ष २०२० के लगभग लगी थी। कुछ दिनों तक रेडियोलॉजिस्ट द्वारा काम किया गया। उसके बाद २०२१ में जबरदस्ती स्थानांतरण कर दिया गया। उसके बाद सोनोग्राफी बंद रही। फिर प्रशिक्षित डॉक्टरों द्वारा एक दिन दो से तीन और चार सोनोग्राफी की जाने लगी। प्रतिदिन ३ से ५ और १० गर्भवती महिलाओं की सोनोग्राफी की जाती है। मरीज लाइन में खड़े-खड़े रह जाते है। नंबर नहीं आने से फार्म जमा कर लिया जाता था। फिर मरीजों को बाहर निजी सेंटर पर जाना पड़ता है। वहीं कर्मचारियों ने बताया कि सोनोग्राफी करने वाले डॉक्टर को ऑपरेशन के लिए जाना पड़ता है। इस कारण मरीजों को परेशानियों का सामना करना पड़ता है।
दो बार आए रेडियोलॉजिस्ट
अस्पताल के कर्मचारियों ने बताया कि वर्ष २०२१ में सोनोग्राफी के लिए डॉ. भूपेश गुप्ता थे। उसके बाद जनवरी २०२४ में दूसरे रेडियोलॉजिस्ट आ गए। उन दोनों का स्थानांतरण कर दिया गया। अस्पताल के कर्मचारियों ने बताया कि यह चर्चा फैली है कि निजी सोनोग्राफी सेंटर संचालकों के दवाब के चलते यहां पर रेडियोलॉजिस्ट ठहर नहीं पाते है। जिसके कारण जिला अस्पताल में कम और निजी सेंटर पर सोनोग्राफी अधिक होती है।
जिला अस्पताल में सालों से रेडियोलॉजिस्ट की तैनाती नहीं है। यहां पर तीन से पांच सोनोग्राफी ही होती है और मशीन बंद पड़ी हुई है। बीच में एक रेडियोलॉजिस्ट की तैनाती हुई भी, लेकिन काम नहीं कर पाया। फिर उनका स्थानांतरण हो गया। जिला अस्पताल की ओपीडी में आने वाले मरीजों की डॉक्टर सोनोग्राफी जांच लिखते हैं। मरीजों का बाहर से जांच करानी पड़ रही है। निर्धन परिवार के लोग छह से आठ सौ रुपए देने पड़े है।
कहते है परिजन और मरीज
खरगापुर क्षेत्र के गांव के रामस्वरूप यादव बताते है कि मंगलवार को सोनोग्राफी का नंबर लिया था। मंगलवार को लाइन में लगे रहे और बुधवार को वापस आ गए। गुरुवार को सोनोग्राफी का नंबर लगना मुश्किल लग रहा है।
टीकमगढ़ के शेख मोहल्ला निवासी अब्दुल रसल ने बताया कि पथरी का उपचार चल रहा है। डॉक्टर ने कहा है कि सोनोग्राफ ी के बाद ही उपचार शुरू होगा। सोनोग्राफी करवाने आए है, लेकिन सोनोग्राफी का लाभ नहीं मिल रहा है। अधिक राशि देकर बाहर के सेंटर पर सोनोग्राफी करवानी होगी।
फैक्ट फाइल
दिनांक सोनोग्राफी संख्या
६ मई को ०३ सोनोग्राफी
७ मई को १० सोनोग्राफी
८ मई को ०५ सोनोग्राफी
३० फार्म प्रतिदिन सोनोग्राफी के लिए हो रहे जमा
अस्पताल में रेडियोलॉजिस्ट नहीं है। दो डॉक्टर है जो सोनोग्राफी करते है। बीच में एक रेडियोलॉजिस्ट को पदस्थ किया गया था, लेकिन उसने आना बंद कर दिया है। दो बार नोटिस भी निकाले गए है। नए रेडियोलॉजिस्ट को तैनात करने के लिए प्रशासन को पत्र लिखा है। जिससे गांव से आने वाले मरीजों को परेशानियों का सामना नहीं करना पड़े।
डॉ.डीएस भदौरिया, आरएमओ जिला अस्पताल टीकमगढ़।

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