बुंदेली के लिए कर रहे काम: वर्तमान में कैलाश मड़वैया लंबे समय से भोपाल में रह कर बुंदेली भाषा के लिए काम कर रहे है। कैलाश मड़वैया वर्तमान में अखिल भारती बुंदेलखण्ड साहित्य एवं संस्कृति परिषद के अध्यक्ष है। उनके द्वारा ओरछा में प्रतिवर्ष बुंदेली भाषा के लिए तीन दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया जाता है। कैलाश मड़वैया को यह सम्मान मिलने पर जिले के साहित्यकारों ने उन्हें बधाईयां दी है।
बुंदेली एवं बुंदेलखण्ड के लिए हो काम: शिक्षा और साहित्य का प्रदेश का सर्वश्रेष्ठ सम्मान मिलने के बाद कैलाश मड़वैया का कहना है कि वह सरकार से मांग करते है कि जल्द ही बुंदेलखण्ड और बुंदेली के विकास के लिए काम किया जाए। उनका कहना था कि अभी राजनैतिक कारणों के चलते देश की 22 भाषाओं को 8वीं अनुसूची में शामिल किया गया है। जबकि बुंदेली और भोजपुरी जो देश की सबसे बड़ी क्षेत्रीय भाषाएं, उन्हें इसमें शामिल नही किया गया। बुंदेलीभाषा देश के बड़े भूभाग पर बोली जाने वाली भाषा है। 6 करोड़ से अधिक लोग बुंदेली भाषा बोलते है। वहीं उन्होंने बुंदेलखण्ड के विकास, सिंचाई योजनाओं के लिए सरकार से काम करने की मांग की। उनका कहना था कि देश हृदय स्थल बुंदेलखण्ड का देश की आजादी, साहित्य, संस्कृति में बड़ा योगदान है। लेकिन यहां के बलिदानों को सरकारों ने भुला दिया है। उन्होंने बानपुर में राजा मर्दन सिंह की प्रतिमा स्थापित करने, छत्रसाल की प्रतिमा स्थापित कराने की मांग की।