मनरेगा योजना में श्रम से अधिक सामग्री पर व्यय होने से इसका पूरा अनुपात ही गड़बड़ा गया है। योजना में चल रही इस लापरवाही पर राज्य स्तर से आपत्ति जाहिर करने पर कलेक्टर सुभाष कुमार द्विवेदी ने योजना के तहत किए जाने वाले चैकडेम, स्टॉपडेम, सुदूर सड़क और तालाबों के कामों पर रोक लगा दी है। इसके लिए उन्होंने ग्रामीण यांत्रिकी विभाग के कार्यपालन यंत्री एवं मनरेगा के सभी सहायक यंत्रियों को पत्र जारी कर इन कामों पर तत्काल रोक लगाने के आदेश दिए है।
रोजगार मूलक है योजना
विदित हो कि ग्रामीण क्षेत्रों में अधिक से अधिक मजदूरों को काम मिल सके, इसके लिए मनरेगा योजना का संचालन किया जा रहा है। ऐसे में शासन ने नियम भी बनाया है कि योजना में अधिकतम 40 प्रतिशत राशि ही सामग्री पर व्यय की जानी चाहिए। लेकिन जिले में इस नियम को दरकिनार किया जा रहा है। निवाड़ी ब्लॉक में जहां सामग्री पर 56 प्रतिशत राशि व्यय की जा रही है, वहीं जतारा में 43 प्रतिशत से अधिक राशि का उपयोग किया जा रहा है। तीन माह पूर्व तक यही हाल पलेरा और बल्देवगढ़ का भी था। अब इसमें सुधार देखा जा रहा है।
किसी का नहीं ध्यान
विदित हो कि मनरेगा में नियमों को ताक पर रखकर सामग्री पर खर्च की जा रही अधिक राशि को रोकने का जिले से लेकर जनपद स्तर तक कोई प्रयास नहीं किया गया। इसके लिए न तो जिला पंचायत सीइओ द्वारा कभी आपत्ति दर्ज कराई गई और न ही जनपद स्तर से किसी ने इस पर ध्यान दिया। राज्य स्तर से नाराजगी जाहिर करने के बाद कलेक्टर को इस पर रोक लगानी पड़ी है।
जमकर चल रही मनमानी
विदित हो कि पिछले एक साल से योजना में जमकर लापरवाहियां सामने आ रही है। आलम यह है कि 15 लाख रूपए तक के निर्माण कार्यों की फाइलें जिला पंचायत से स्वीकृत की जा रही है, जबकि इसका अधिकार ग्राम पंचायतों को ही है। नियम विरूद्ध तरीके से 15 लाख रुपए के निर्माण कार्य स्वीकृत करने को लेकर जिला पंचायत सीइओ की भी कमिश्नर से शिकायत की गई थी और इसके लिए संभाग स्तर से टीम गठित कर जांच कराई गई थी।