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टीकमगढ़

राजपरिवार के दशहरा मिलन में दिखी परम्परा की झलक

ओरछा रियासत के टीकमगढ़ किले पर भी शुक्रवार को दशहरे पर राजपरिवार की ओर से परम्परा के अनुसार आयोजन किया गया।

टीकमगढ़Oct 21, 2018 / 01:00 pm

anil rawat

Tikamgarh Fort organizes every year

Tikamgarh Fort organizes every year

टीकमगढ़. शहर में शुक्रवार को परम्परा के अनुसार दशहरे का पर्व मनाया गया। ओरछा रियासत के टीकमगढ़ किले पर भी शुक्रवार को दशहरे पर राजपरिवार की ओर से परम्परा के अनुसार आयोजन किया गया। इसमें जिले भर से सैकड़ों गणमान्य लोग पहुंचे। राजपरिवार के मधुकरशाहजी जूदेव पूरे परिवार के साथ इस परम्परा को निभाया। इससे पूर्व किले में स्थित हवेली में हवन यज्ञ किया। मुख्यद्वार पर रखे शेर दहां तोप (तोप का नाम) की पूजा-अर्चना की। दोपहर एक बजे बाद लोग पहुंचने लगे। विदित हो कि गत वर्ष इस राज परिवार में गमी के कारण किले में दशहरे पर यह आयोजन नहीं किया गया था।
लगा जनता दरबार

इस बीच दोपहर करीब दो बजे मधुकरशाहजी जूदेव ने लोगों से जिले की समस्याओं के बारे में चर्चा की। प्राचीन विरासत, कुएं-बावड़ी व तालाबों से लेकर ओरछा स्थित रामराजा सरकार तक की बात हुई। बात चली तो टीकमगढ़ से निवाड़ी को अलग कर नया जिला बना दिए जाने को लेकर भी चर्चा हुई। जिले के गणमान्य लोगों ने ओरछा को अलग कर निवाड़ी जिले में शामिल करने पर अपनी नाराजगी जताते हुए अपनी राय रखी तो वहीं मधुकरशाह ने भी अपना इरादा बेबाकी से जता दिया। इसके बाद उन्होंने आमंत्रित लोगों के साथ भोजन किया। इसके बाद बुंदेलखंड की परम्परा के अनुसार दशहरे पर अपने हाथों से सभी को पान खिलाया।
लगा रहा पर्यटकों का तांता
अमूमन दशहरे पर वर्ष में एक बार टीकमगढ़ किले का मुख्यद्वार खुला होने के कारण दिन भर शहर व आसपास के लोगों का आना-जाना लगा रहा। शहर के कई लोगों ने जानकारी मिलते ही अपना काम-धंधा छोड़ कर किला घूमने का लुत्फ उठाया। वहीं ललितपुर व भोपाल से परिवार सहित शहर पहुंचे लोगों ने भी किले का भ्रमण किया। इसी तरह कई लोग चंदेरा, खरगापुर, बल्देवगढ़ सहित आसपास के लोग भी किले का भ्रमण किया। शाम तक पर्यटकों का आना-जाना जारी रहा। चूंकि यह किला परिसर बंद ही रहता है, ऐसे में यहां कोई गाइड भी नहीं है। ऐसे में पर्यटक एक-दूसरे से किले के बारे में पूछताछ करते रहे। किसी ने सेल्फी ले तो किसी ने ग्रुप फोटो अपने-अपने मोबाइल कैमरे में कैद किए।
रखरखाव का दिखा अभाव
किले के रखरखाव का घोर अभाव दिखा। किला परिसर के जिस भवन में कभी कोर्ट हुआ करता था, उस भवन में जगह-जगह गंदगी पसरी है। लगता है वर्षों से यहां साफ-सफाई नहीं हुई है। दीवारों पर उस समय के वकीलों के नाम आज भी अंकित हैं। वर्षों से तालों में कैद कमरों में रियासत की वर्षों पुरानी विरासत पर धूल की मोटी परतें जमी हुई हैं।

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