अमूमन दशहरे पर वर्ष में एक बार टीकमगढ़ किले का मुख्यद्वार खुला होने के कारण दिन भर शहर व आसपास के लोगों का आना-जाना लगा रहा। शहर के कई लोगों ने जानकारी मिलते ही अपना काम-धंधा छोड़ कर किला घूमने का लुत्फ उठाया। वहीं ललितपुर व भोपाल से परिवार सहित शहर पहुंचे लोगों ने भी किले का भ्रमण किया। इसी तरह कई लोग चंदेरा, खरगापुर, बल्देवगढ़ सहित आसपास के लोग भी किले का भ्रमण किया। शाम तक पर्यटकों का आना-जाना जारी रहा। चूंकि यह किला परिसर बंद ही रहता है, ऐसे में यहां कोई गाइड भी नहीं है। ऐसे में पर्यटक एक-दूसरे से किले के बारे में पूछताछ करते रहे। किसी ने सेल्फी ले तो किसी ने ग्रुप फोटो अपने-अपने मोबाइल कैमरे में कैद किए।
किले के रखरखाव का घोर अभाव दिखा। किला परिसर के जिस भवन में कभी कोर्ट हुआ करता था, उस भवन में जगह-जगह गंदगी पसरी है। लगता है वर्षों से यहां साफ-सफाई नहीं हुई है। दीवारों पर उस समय के वकीलों के नाम आज भी अंकित हैं। वर्षों से तालों में कैद कमरों में रियासत की वर्षों पुरानी विरासत पर धूल की मोटी परतें जमी हुई हैं।