कैदियों में बदलाव के लिए कहीं बच्चों का स्पर्श तो कहीं मौन रखकर बढ़ाई जा रही एकाग्रता
जेल से बाहर निकलने के बाद अपराध की राह बदल सकें कैदी इसलिए जेलों में हो रहे नवाचार सागर. संभाग की जेलों में बंद कैदी अपराध की राह छोड़ वापिस अपने गृहस्थ जीवन में लौट सकें इसलिए तरह-तरह के प्रयास किए जा रहे हैं। सागर केंद्रीय जेल में जहां कैदियों को कुछ दिनों तक मौन […]
कैदियों में बदलाव के लिए कहीं बच्चों का स्पर्श तो कहीं मौन रखकर बढ़ाई जा रही एकाग्रता
जेल से बाहर निकलने के बाद अपराध की राह बदल सकें कैदी इसलिए जेलों में हो रहे नवाचार सागर. संभाग की जेलों में बंद कैदी अपराध की राह छोड़ वापिस अपने गृहस्थ जीवन में लौट सकें इसलिए तरह-तरह के प्रयास किए जा रहे हैं। सागर केंद्रीय जेल में जहां कैदियों को कुछ दिनों तक मौन रखकर उनकी एकाग्रता बढ़ाने पर जोर दिया जा रहा है। वहीं टीकमगढ़ में इस कार्य के लिए उनके बच्चों का सहारा लिया जा रहा है। यहां स्पर्श अभियान के तहत जेल में बंद कैदियों को बच्चों को गले लगाने का अवसर दिया जाता है। वहीं दमोह व छतरपुर जिलों की जेलों में भी विभिन्न विधिक सहायता दी जा रही है। कैदियों की बीमारियों की जांच और उपचार की व्यवस्था भी जेल परिसर में की जा रही है। जेल प्रबंधन के यह प्रयास भी रंग ला रहे हैं। शिविर, ध्यान, विधिक सहायता के सकारात्मक प्रभाव भी देखे जा रहे हैं।
10 दिनों तक मौन रहे 29 कैदी तो बढ़ी एकाग्रता, आया व्यवहार में बदलाव-
केंद्रीय जेल सागर में 10 दिवसीय विपश्यना ध्यान शिविर आयोजित किया गया। जिसमें 29 कैदी 10 दिन तक विपश्यना ध्यान का अभ्यास करते रहे। मकसद था कि कैदियों के दिमाग को एकाग्रता की ओर ले जाया जाए ताकि वह अपराध से दूर होकर उनका दिमाग एकाग्रता की ओर जाए और मन निर्मल हो सकते। जेल अधीक्षक मानेंद्र ङ्क्षसह परिहार, उप जेल अधीक्षक मांगीलाल पटेल ने बताया कि ध्यान अभ्यास में कैदियों ने दस दिनों तक मौन रखा, खुद को अलग रखा और उसके बाद सभी 29 कैदियों में सकारात्मक प्रभाव दिखा है।
टीकमगढ़ में स्पर्श अभियान से बंदियों में आ रहा सकारात्मक बदलाव-
टीकमगढ़ में जेल प्रबंधन ने अभिनव पहल करते हुए स्पर्श अभियान चलाया। जिसके तहत सालों बाद कैदियों को अपने बच्चों को गोद में लेकर उन्हें प्यार करने का मौका मिला। अभियान के बाद अब बंदियों को जहां अपने किए पर पछतावा हो रहा है, तो वह आगे अपने परिवार के साथ खुशहाल जीवन जीने की बात कह रहे है। इस अभियान में जेल प्रबंधन ने हर माह के दूसरे सोमवार को बंदियों को अपने 9 वर्ष तक के बच्चों से प्रत्यक्ष मुलाकात करने की सुविधा दी है। अभियान के बाद कई बंदियों को तो सालों बाद अपने बच्चों को गोद में खिलाने, उन्हें सीने से लगाने का मौका मिला।
छतरपुर जेल में महिला-पुरुष कैदियों व उनके बच्चों की जांच की-
छतरपुर जिला जेल में प्रबंधन ने विशेष स्वास्थ्य परीक्षण शिविर लगाया। शिविर में पुरुष व महिला बंदियों की जांच हुई, स्वास्थ्य के लिए दिए जरूरी टिप्स दिए गए। शिविर में प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश अखिलेश शुक्ला ने कैदियों से कहा कि सभी को अपने स्वास्थ्य का ध्यान रखना चाहिए। गर्मी में अधिक पानी पिएं, योग व प्राणायाम करें। बंदियों को दवाइयां व अन्य चिकित्सीय परामर्श एवं तकनीकी जांच प्रदान की गई। शिविर में शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. कविता तिवारी, स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ. गीता चौरसिया ने सभी महिला बंदियों एवं उनके साथ रह रहे शिशुओं का स्वास्थ्य परीक्षण किया।
दमोह में विधिक सहायता व स्वास्थ्य परीक्षण शिविर लगाया-
दमोह की उपजेल हटा में विधिक सहायता कैंप लगा गया। कैदियों को विधिक सहायता के लिए जानकारी दी गई। न्यायाधीश अर्चना ङ्क्षसह, जेलर नागेन्द्र चौधरी ने जेल का भ्रमण कर बंदियों से चर्चा कर उनकी परेशानियां समझीं। वहीं स्वास्थ्य विभाग द्वारा परिसर में एक कैंप आयोजित किया गया। जिसमें डॉ. विराज मोहन पांडेय व डॉ. यूएस पटेल बीएमओ ने 87 बंदियों का स्वास्थ्य परीक्षण किया आवश्यक दवाएं उपलब्ध कराई। स्वास्थ्य विभाग से पैरामेडिकल स्टाफ से हेमंत राजपूत, हरिशंकर साहू, बृजेश डिम्हा, उदय कुमार दुबे की उपस्थिति रही।
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