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टीकमगढ़

नहीं हो पाया बसों को बॉडी कोड और न ही यात्रियों के लिए हो पाई एकसी बसे

सड़क हादसों के लिए अंधे मोड़ों, तेज रफ्तार और लापरवाहीपूर्ण ड्राईविंग को जिम्मेदार माना जाता रहा। लेकिन अब व्यावसायिक वाहनों की डिजाइन भी इसके लिए जिम्मेदार मानी जा रही है।

टीकमगढ़May 20, 2019 / 08:02 pm

akhilesh lodhi

 Traveling in buses is going on in buses

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टीकमगढ़.सड़क हादसों के लिए अंधे मोड़ों, तेज रफ्तार और लापरवाहीपूर्ण ड्राईविंग को जिम्मेदार माना जाता रहा। लेकिन अब व्यावसायिक वाहनों की डिजाइन भी इसके लिए जिम्मेदार मानी जा रही है। हादसों में कमी लाने के लिए सरकार ने बस बॉडी कोड अनिवार्य कर दिया है। जिसके लिए बसों के बॉडी कोड लागू १ जुलाई २०१७ से किए जाने थे। लेकिन जिले की अधिकांश बसों में बॉडी कोड जारी नहीं किए गए है।
परिवहन विभाग का यात्रियों बसों की सुरक्षा से ध्यान भटकता जा रहा है। उनके द्वारा न तो बसों में यात्रियों के लिए होने वाली सुविधाओं पर ध्यान दिया जा रहा है और न ही उनके लिए सुरक्षा के इंतजाम किए जा रहे है। आए दिन बसों से हादसा और सीटों से अधिक सवारियां भरने के साथ किराया में गड़बड़ी की जा रही है। परिवहन विभाग के अधिकारियों द्वारा यात्रियों के सुविधाओं के लिए जितने भी नियम बनाए गए है। वह सिर्फ विभाग तक ही सीमित रह गए है। जबकि यात्रियों द्वारा तेज रफ्तार और खटरा बसों के साथ किराया सूची के अनुरूप होने वााली वसूली की शिकायतें भी की गई। लेकिन कार्रवाई के नाम पर सिर्फ यात्रियों सहित समाजसेवियों को आश्वासन मिलता रहा है।
यात्रियों की सुरक्षा के लिए तय किए गए थे मापदण्ड
बस बॉडी कोड के तहत वाहन की डिजाइन मटेरियल सवारी की सुविधा और अन्य चीजों को ध्यान में रखकर मापदंड तय किए गए थे। ताकि हादसा हो तो गाडी के भीतर बैठै लोगों को कम चोट लगे। यह नियम पहले अप्रैल २०१७ से लागू होना था। लेकिन देश के बॉडी बिल्र्डस के विरोध के कारण अब यह १ जुलाई २०१७ से लागू कर दिया गया है। इसके बाद भी यहां बसों के बॉडी कोड और एसी दिखाई नहीं दे रहे है।
यह है बॉडी कोड
बस बॉडी कोड के तहत नए मापदंड तय किए है। ताकि बसों में यात्रियों की सुरक्षा आराम का ध्यान रखा जा सके। इसके अलावा बसों में अच्छी डिजाइन को लाया गया था। जिससे यात्रियों को उससे सुविधा मिले। कोड एआईएस .०५२ के अनुसार हर बस बॉडी बिल्डर को सटिफिकेट मिलना था। जिसके बस के पास सटिफिकेट नहीं होगा उसको मान्यता नहीं मिलनी थी। कोई बस मालिक नियमों का उल्लघंन करता है, तो उसे तीन साल की सजा और १० लाख रुपए के जुर्माने का प्रवधान रखा गया था। लेकिन यह सब परिवहन विभाग तक ही सीमिति है।

अगला नम्बर ट्रकों का होना था
बसों के बाद अगला नम्बर ट्रकों का होना था। सरकार अगले चरण में ट्रक की बॉडी बनाने का काम भी वाहन बनाने वाली क म्पनियों को सौंपने जा रही है। बसों के बाद ट्रक की बॉडी भी वाहनों को बनाने वाली कम्पनियां और लायसेंस धारक कंम्पनियां ही बनाएगी। उसी के आधार पर ट्रकों को रजिस्ट्रेशन होने के साथ परमिट जारी किया जाएगा।
हादसों में आने थी कमी
इस समय बस चालकों द्वारा बसों को तेज रफ्तार से परिवहन किया जा रहा है। इस प्रकार के परिवहन से सड़कों के अंधे मोड और बसों में सीटों से ज्यादा यात्री बैठे रहते है। बसों में बर्गेर सुरक्षा के कारण यात्रियों को परेशानियों का सामना करना पड़ता है। जिसके कारण आए दिन सड़क हादसे हो रहे है। जिसमें बस चालको सहित यात्रियों को नुकसान झेलना पड़ रहा है। हादसों में कमी लाने के लिए शासन द्वारा बसों में बॉडी कोड लाया गया था। बस बॉडी कोड से बस-ट्रक हादसों में कमी आएगी। लेकिन यहां बसों के बॉडी कोड़ को लेकर उलट है।
इनका कहना
बस मालिको द्वारा की जा रही अनियमित्ताओं के चलते विभाग द्वारा जल्द ही अभियान चलाया जाएगा। अभियान द्वारा बॉडी कोड के साथ अन्य प्रकार की बसों से सबंधित जांच की जाएगी। कमी पाए जाने पर कार्रवाई की जाएगी। अधिकांश बसों में बॉडी कोड दिए गए है। जहां- बॉडी कोड की समस्याएं है। उन बसों की जांच की जाएगी।
विमलेश गुप्ता आरटीओ टीकमगढ़।

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