मत्स्य विभाग के अधिकारी ने बताया कि जिले में मछली पालन के लिए छह फार्म और ३ निजी हेचरी टैंक बनाए गए है। फार्मों में टैंक काफी संख्या में बने है। इन टैंकों में मछली के बच्चों को पालकर टीकमगढ़, निवाड़ी जिला के साथ अन्य जिलों में भेजा जाता था लेकिन कुछ समय से वहां से मछलियों का बच्चा निकलना बंद हो गया है। जिसके कारण हेचरी और फार्मों में बनाए गए टैंक सूख गए है। उन्हें दोवारा चालू कराने का प्रयास नहीं किया जा रहा है।
मछलियों के बच्चों को पालने के लिए एक फार्म जतारा में बनाया गया था। उसमें १७ टैंक बनाए गए थे। इन टैंकों को भरने के लिए मदन सागर तालाब से पानी भरने की व्यवस्था बनाई थी और पानी की कमी होती है तो ट्यूब बेल खनन किए थे लेकिन विभाग की देखरेख के अभाव में सभी योजनाएं ध्वस्त हो गई है। जिसके कारण मछुआरों को मछलियों का बच्चा नहीं मिल पा रहा है।
मत्स्य पालकों को उन्नत तकनीक के आधार पर मत्स्य पालन करने के लिए तालाब निर्माण, जाली लगाने, मत्स्य बीज, आहार, उर्वरक, खाद और दवाइयों के लिए २० और २५ फीसदी अनुदान और प्रशिक्षण दिया जाता था। लेकिन जतारा का प्रशिक्षण केंद्र बीते दो साल से बंद पड़ा है। अब जतारा की जगह टीकमगढ़ जिला मुख्यालय पर मछुवारों को प्रशिक्षण देने की व्यवस्था की गई है।
मत्स्य पालन में प्रशिक्षण एवं विस्तार, प्रगतिशील मत्स्य पालकों को नवीन विकसित तकनीक के प्रशिक्षण के लिए राज्य के बाहर अध्ययन भ्रमण पर जाने की व्यवस्था है। इसके साथ ही तालाब पट्टा धारकों को 15 दिवसीय विभागीय प्रशिक्षण का प्रावधान है। जिससे पच्चास रुपए प्रति दिन देने का प्रावधान है लेकिन सरकार की महत्वाकांक्षी योजनाओं का मछवारो को लाभ नहीं मिल पा रहा है।
६ सरकारी फार्म मछली पालन केंद्र जिले में
३ निजी फार्म मछली पालन केंद्र जिले में
२ निजी हेचरी टैंक
१ सरकारी हेचरी टैंक इनका कहना
मदन सागर तालाब से फार्म के टैंकों को भरने के लिए रास्ता बनाया गया था लेकिन तालाब से पानी नहीं दिया गया। जिसके चलते मछली पालन टैंक खाली पड़े है। जहां तक प्रशिक्षण देने का सवाल है तो जतारा का केंद्र बंद हो चुका है और टीकमगढ़ में व्यवस्था की गई है। मछली पालन करने के लिए सिमरा खुर्द में व्यवस्था है।
सीएल कुशवाहा मत्स्य पालन विभाग जतारा।
राजकुमार मिश्रा, सहायक संचालक मत्स्योद्योग टीकमगढ़।