scriptपानी की कमी से सूख गए मछली पालन करने वाले टैंक और फार्म | Patrika News
टीकमगढ़

पानी की कमी से सूख गए मछली पालन करने वाले टैंक और फार्म

जिले में मत्स्य विभाग द्वारा हेचरी और मछली पालन टैंकों का निर्माण किया गया था। देखरेख के अभाव में लाखों रुपए के निजी और शासन के टैंक खराब हो गए है। लापरवाही छुपाने के लिए मत्स्य विभाग पानी की कमी बता रहा है।

टीकमगढ़Jun 03, 2023 / 07:31 pm

akhilesh lodhi

Work stopped in hatchery tanks

Work stopped in hatchery tanks


टीकमगढ़. जिले में मत्स्य विभाग द्वारा हेचरी और मछली पालन टैंकों का निर्माण किया गया था। देखरेख के अभाव में लाखों रुपए के निजी और शासन के टैंक खराब हो गए है। लापरवाही छुपाने के लिए मत्स्य विभाग पानी की कमी बता रहा है। इस कारण से मछुआरों को मत्स्य योजनाओं का लाभ नहीं मिल पा रहा है।
रोजगार से जोडऩे के लिए शासन ने मछुआरों के लिए हेचरी और मछली पालन करने फार्म (टैंक) बनाए थे। जतारा के एक फार्म में १७ टैंक बनाए गए है और दूसरा सिमरा खुर्द गांव में बनाया गया था। जतारा की योजना देखरेख के अभाव में ध्वस्त हो गई और सिमर्रा चालू बता रहे है लेकिन उसके परिणाम दिखाई नहीं दे रहे है। यही हाल टीकमगढ़, निवाड़ी और बल्देवगढ़ के भी है। जिसके कारण मछुआरों को दूसरे शहरों से लाकर विभिन्न तालाबों में मछली का बच्चा डालना पड़ रहा है।
बढ़ावा देने बनाए गए थे हेचरी और मछली पालन फार्म
मत्स्य विभाग के अधिकारी ने बताया कि जिले में मछली पालन के लिए छह फार्म और ३ निजी हेचरी टैंक बनाए गए है। फार्मों में टैंक काफी संख्या में बने है। इन टैंकों में मछली के बच्चों को पालकर टीकमगढ़, निवाड़ी जिला के साथ अन्य जिलों में भेजा जाता था लेकिन कुछ समय से वहां से मछलियों का बच्चा निकलना बंद हो गया है। जिसके कारण हेचरी और फार्मों में बनाए गए टैंक सूख गए है। उन्हें दोवारा चालू कराने का प्रयास नहीं किया जा रहा है।
फार्म के टैंकों को तालाब से भरने बनाई थी योजना
मछलियों के बच्चों को पालने के लिए एक फार्म जतारा में बनाया गया था। उसमें १७ टैंक बनाए गए थे। इन टैंकों को भरने के लिए मदन सागर तालाब से पानी भरने की व्यवस्था बनाई थी और पानी की कमी होती है तो ट्यूब बेल खनन किए थे लेकिन विभाग की देखरेख के अभाव में सभी योजनाएं ध्वस्त हो गई है। जिसके कारण मछुआरों को मछलियों का बच्चा नहीं मिल पा रहा है।
दो साल बंद पड़ा प्रशिक्षण केंद्र
मत्स्य पालकों को उन्नत तकनीक के आधार पर मत्स्य पालन करने के लिए तालाब निर्माण, जाली लगाने, मत्स्य बीज, आहार, उर्वरक, खाद और दवाइयों के लिए २० और २५ फीसदी अनुदान और प्रशिक्षण दिया जाता था। लेकिन जतारा का प्रशिक्षण केंद्र बीते दो साल से बंद पड़ा है। अब जतारा की जगह टीकमगढ़ जिला मुख्यालय पर मछुवारों को प्रशिक्षण देने की व्यवस्था की गई है।
यह है व्यवस्था
मत्स्य पालन में प्रशिक्षण एवं विस्तार, प्रगतिशील मत्स्य पालकों को नवीन विकसित तकनीक के प्रशिक्षण के लिए राज्य के बाहर अध्ययन भ्रमण पर जाने की व्यवस्था है। इसके साथ ही तालाब पट्टा धारकों को 15 दिवसीय विभागीय प्रशिक्षण का प्रावधान है। जिससे पच्चास रुपए प्रति दिन देने का प्रावधान है लेकिन सरकार की महत्वाकांक्षी योजनाओं का मछवारो को लाभ नहीं मिल पा रहा है।
फैक्ट फाइल
६ सरकारी फार्म मछली पालन केंद्र जिले में
३ निजी फार्म मछली पालन केंद्र जिले में
२ निजी हेचरी टैंक
१ सरकारी हेचरी टैंक

इनका कहना
मदन सागर तालाब से फार्म के टैंकों को भरने के लिए रास्ता बनाया गया था लेकिन तालाब से पानी नहीं दिया गया। जिसके चलते मछली पालन टैंक खाली पड़े है। जहां तक प्रशिक्षण देने का सवाल है तो जतारा का केंद्र बंद हो चुका है और टीकमगढ़ में व्यवस्था की गई है। मछली पालन करने के लिए सिमरा खुर्द में व्यवस्था है।
सीएल कुशवाहा मत्स्य पालन विभाग जतारा।
पानी की कमी के कारण मछली पालन वाले फार्म सूख गए है। जतारा, सिमरा खुर्द, बल्देवगढ़ मछली पालन फार्म और निजी हेचरी टैंक बने है। सिमरा खुर्द में मछलियों के बच्चा का पालन किया जा रहा है। जतारा के साथ अन्य फार्म में बने टैंक सूख गए है।
राजकुमार मिश्रा, सहायक संचालक मत्स्योद्योग टीकमगढ़।
https://www.dailymotion.com/embed/video/x8lhjnb

Home / Tikamgarh / पानी की कमी से सूख गए मछली पालन करने वाले टैंक और फार्म

loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो