जी हां, राणा ने अपनी अभिनय क्षमता के हर आयाम को पर्दे पर उभारा है। साउथ इंडियन फिल्मों में सफलता की बुलंदियों को छूने के बाद उन्होंने बॉलीवुड में कदम रखा। उन्होंने बिपाशा बसु के साथ फिल्म ‘दम मारो दम’ से हिंदी दर्शकों के बीच अपनी मौजूदगी दर्ज कराई। बेशक, यह फिल्म बॉक्स ऑफिस नहीं चली, लेकिन उनके अभिनय की जमकर तारीफ हुई। अब तक राना दग्गुबाती बॉलीवुड में कई फिल्में कर चुके हैं, जिनमें ‘डिपार्टमेंट’, कृष्णा वन्दे जगदगुरुम, ये जवानी है दीवानी, समथिंग-समथिंग, बेबी, आरम्भम, डोंगाता, बाहुबली, गाजी अटैक और अर्जुन जैसी प्रमुख हैं।
यह भी सही है कि जितनी लोकप्रियता उन्होंने साउथ में बटोरी, उतनी उन्हें बॉलीवुड में नहीं मिली, लेकिन बाहुबली उनके कॅरियर के लिए टर्निंग पॉइंट साबित हुई। भल्लालदेव के किरदार से उन्होंने साबित कर दिखाया कि वो सिर्फ नायक ही नहीं, खलनायक के किरदार में भी बेहतरीन हैं। ‘बाहुबली’ के बाद राना दग्गुबाती की तेलुगु फिल्म ‘नेने राजू, नेने मंत्री’ रिलीज हुई है। तेजा निर्देशित इस फिल्म में राना एक राजनेता की भूमिका में हैं।
राना की लाइफ से जुड़ी कुछ ऐसी बातें, जो आप नहीं जानते…
-राना दग्गुबाती का जन्म 14 दिसंबर 1984 को तमिलनाडु के चेन्नई में हुआ था।
-राना के पिता का नाम दग्गुबाती सुरेश बाबू है और वह तेलुगु फिल्म निर्माता हैं।
– ‘बाहुबली 2’ के लिए उन्होंने 25 किलो वजन बढ़ाया था।
– वह तेलुगु, तमिल और हिंदी सिनेमा में काम कर चुके हैं।
– राना एक अभिनेता होने के साथ-साथ निर्माता और फोटोग्राफर भी हैं।
मान सम्मान
राणा के दादाजी डी रामानायडू को ‘पद्म श्री’ से सम्मानित किया जा चुका है, जबकि राना दग्गुबाती को फिल्म ‘बोमलता: अ बेलीफुल ऑफ ड्रीम’ के लिए राष्ट्रीय पुरुस्कार से भी सम्मानित किया जा चुका है।
बड़ा खुलासा
राना दग्गुबाती को देखकर कोई नहीं कह सकता कि वो एक आंख से देख नहीं सकते हैं, लेकिन यह सच है। इस बात का खुलासा खुद राना ने किया है। उन्होंने बताया कि वो अपनी दाईं आंख से बिल्कुल भी नहीं देख सकते हैं। उन्होंने बताया कि ये आंख उनकी खुद की नहीं है। दरअसल, बचपन में उन्हें आंख लगवानी पड़ी थी। उनकी दाईं आंख एक डोनर की है, जिससे वो कुछ भी नहीं देख सकते हैं। खास बात यह है कि यह आंख उनकी बाईं आंख से जरा भी अलग नहीं लगती है। बड़े गौर से भी देखेंगे, तब भी आपको जरा भी फर्क नहीं नजर आएगा। पलकें भी झपकती हैं…आंख की पुतली भी अपना कार्य करती है…बस इस आंख में रोशनी नहीं है…यानी राणा दुनिया को एक नजरिया से ही देखते हैं।