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65 के चिरंजीवी की 152वीं फिल्म का ऐलान, यहां उम्र का बंधन नहीं

तेलुगु सिनेमा में चिरंजीवी ( Chiranjeevi ) उस परम्परा को आगे बढ़ा रहे हैं, जिसकी शुरुआत अस्सी के दशक में एन.टी. रामाराव ( N T Rama Rao ) ने की थी। यानी सिनेमा और सियासत को एक साथ साधो। उस दौर की एक आत्मकथात्मक फिल्म में तेलुगु के तत्कालीन सुपर सितारे रामाराव ने ज्योतिषी का किरदार अदा किया था।

मुंबईAug 24, 2020 / 08:04 pm

पवन राणा

65 के चिरंजीवी की 152वीं फिल्म का ऐलान, यहां उम्र का बंधन नहीं

65 के चिरंजीवी की 152वीं फिल्म का ऐलान, यहां उम्र का बंधन नहीं

-दिनेश ठाकुर

हिन्दी सिनेमा के नायक 55-60 साल की उम्र के बाद चरित्र भूमिकाओं की तरफ मुड़ जाते हैं। दक्षिण के सितारे उम्र के बंधन से आजाद हैं। तमिल फिल्मों में 69 साल के रजनीकांत ( Rajinikant ) और 65 साल के कमल हासन ( Kamal Haasan ) का सिक्का अब भी जमा हुआ है तो मलयालम फिल्मों में 68 साल के ममूटी और 60 साल के मोहनलाल ( Mohanlal ) की मांग बरकरार है। यही रुतबा तेलुगु सिनेमा में चिरंजीवी का है। दो दिन पहले 65वीं सालगिरह पर धूमधाम से उनकी 152वीं फिल्म ‘आचार्य’ का ऐलान किया गया। इसमें 35 साल की काजल अग्रवाल उनकी नायिका होंगी। काजल की गिनती तेलुगु सिनेमा की व्यस्त अभिनेत्रियों में होती है। वे अजय देवगन ( Ajay Devgn ) की ‘सिंघम’ और अक्षय कुमार ( Akshay Kumar ) की ‘स्पेशल 26’ ( Special 26 ) में भी नजर आई थीं। चिरंजीवी के बेटे राम चरण भी 35 साल के हैं और तेलुगु फिल्मों में काम करते हैं। उत्तर भारत उन्हें कुछ साल पहले अमिताभ बच्चन की ‘जंजीर’ के निहायत कमजोर रीमेक में देख चुका है।

तेलुगु सिनेमा में चिरंजीवी उस परम्परा को आगे बढ़ा रहे हैं, जिसकी शुरुआत अस्सी के दशक में एन.टी. रामाराव ने की थी। यानी सिनेमा और सियासत को एक साथ साधो। उस दौर की एक आत्मकथात्मक फिल्म में तेलुगु के तत्कालीन सुपर सितारे रामाराव ने ज्योतिषी का किरदार अदा किया था। फिल्म के एक सीन में भविष्यवाणी की जाती है कि 1982-83 में ‘रंगे हुए चेहरे वाला शख्स’ आंध्र प्रदेश पर हुकूमत करेगा। कुछ समय बाद रामाराव ने तेलुगुदेशम पार्टी बनाई। विधानसभा चुनाव के प्रचार के दौरान तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी अपने भाषणों में रामाराव को ‘सिर्फ एक कलाकार’ बताती रहीं, लेकिन तेलुगु सिनेमा के भगवान माने जाने वाले रामाराव ‘चैतन्य रथ’ पर प्रचार करते हुए मुख्यमंत्री की कुर्सी पर आसीन हो गए। चिरंजीवी शायद रामाराव के नक्शे-कदम पर हैं। उन्होंने कभी प्रजा राज्यम नाम की पार्टी बनाई थी, जिसका बाद में कांग्रेस में विलय हो गया। वे मनमोहन सिंह की सरकार में केंद्रीय पर्यटन राज्यमंत्री रह चुके हैं।


चिरंजीवी हिन्दी सिनेमा में भी खुद को आजमा चुके हैं। ‘प्रतिबंध’ (1990) उनकी पहली हिन्दी फिल्म थी। इसमें जूही चावला उनकी नायिका थीं। बाद में वे ‘आज का गुंडाराज’ तथा ‘द जेंटलमैन’ में नजर आए, लेकिन यहां उनकी पारी ज्यादा दूर और देर तक नहीं चल पाई। इससे पहले रजनीकांत और कमल हासन के साथ भी यही हुआ था। कुछ फिल्मों के बाद उन्हें हिन्दी सिनेमा को अलविदा कहना पड़ा। कहा जाता है कि दक्षिण के नायक उत्तर भारत में इसलिए नहीं चल पाते, क्योंकि भूगोल के हिसाब से नायकों को लेकर दर्शकों की पसंद बदल जाती है। हैरानी की बात है, यह हिसाब-किताब नायिकाओं के मामले में लागू नहीं होता। वहीदा रहमान, वैजयंतीमाला, हेमा मालिनी, रेखा, श्रीदेवी, जयप्रदा, दीपिका पादुकोण.. सभी दक्षिण की देन हैं।

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