शीर्ष अदालत के फैसले का सम्मान लेकिन
हाल ही में रजनीकांत ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि प्रत्येक क्षेत्र में महिलाओं की बराबरी को लेकर कोई दूसरा मत नहीं है। उन्होंने कहा, ‘जब आप किसी मंदिर के बारे में बात करते हैं तो प्रत्येक मंदिर के कुछ रीति-रिवाज एवं परंपराएं होती हैं जिनका लंबे समय से पालन हो रहा है। मेरी विनम्र राय यह है कि किसी को भी उसमें हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए।’सुपरस्टार ने कहा कि शीर्ष अदालत के फैसले का सम्मान होना चाहिए हालांकि उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि बात जब धर्म एवं संबंधित रिति-रिवाजों की हो तो एहतियात बरतना चाहिए।
‘मीटू’ पर रखी अपनी राय
बताते चलें कि सरकार ने जब से कहा है कि वह उच्चतम न्यायालय के फैसले का पालन करेगा तभी से सबरीमाला मंदिर में रजस्वला आयु वर्ग की लड़कियों एवं महिलाओं के प्रवेश के खिलाफ केरल में लगातार विरोध जारी है। इस दौरान रजनीकांत ने ‘मीटू’ मूवमेंट को लेकर रजनीकांत ने कहा कि यह महिलाओं के लिए ‘हितकारी’ था। हालांकि, ‘इसका दुरुपयोग नहीं होना चाहिए और उचित तरीके से प्रयोग होना चाहिए।’