तमिल की मसाला फिल्में मारधाड़ से भरपूर रहा करती हैं। वहां के हीरो हवा में उछल-उछल कर बदमाशों की हड्डी-पसली तोड़ते हैं और शेखचिल्ली को मात करने वाले संवाद झाड़ कर दर्शकों से तालियां-सीटियां बजवाते हैं। निर्माता जी.के. रेड्डी के बेटे विशाल कृष्णा भी ताबड़तोड़ एक्शन के लिए पहचाने जाते हैं। यह खेल उनकी पहली रोमांटिक थ्रिलर ‘चेलेमाय’ (2004) से चल रहा है। ‘संदकोझी’, ‘थिमिरु’ और ‘मलाईकोट्टा’ जैसी एक्शन फिल्मों की कामयाबी ने उनका सिक्का जमा दिया। उनके एक्शन में रजनीकांत, चिरंजीवी या नागार्जुन जैसी धार नहीं है, फिर भी एक दर्शक वर्ग में वे काफी लोकप्रिय हैं। वे करीब दो दर्जन फिल्मों में काम कर चुके हैं। इनमें हिट और फ्लॉप की गिनती करीब-करीब बराबर है।
याद आता है, 1981 में स्मिता पाटिल और नसीरुद्दीन शाह की सलीकेदार ‘चक्र’ आई थी। उसमें मुम्बई की झुग्गी-झोपडिय़ों में रहने वालों की जिंदगी को टटोला गया था, जिन पर अपनी बस्ती उजडऩे का खतरा हमेशा मंडराता रहता है। रवीन्द्र धर्मराज के निर्देशन में बनी वह फिल्म सेल्यूलाइड पर रची गई कविता जैसी है। तमिल में जो ‘चक्र’ बन रही है, उसके निर्देशक एम.एस. आनंदन हैं। यह उनकी पहली फिल्म है, इसलिए इसे मारधाड़ से भरपूर बनाने में उन्होंने कोई कसर नहीं छोड़ी है। इसमें विशाल कृष्णा फौजी अफसर के किरदार में हैं, जिसके मकान से चोर शौर्य चक्र चुरा ले जाते हैं। कहानी में साइबर चोरी के मामले भी जोड़ दिए गए हैं। श्रद्धा श्रीनाथ पुलिस अफसर के किरदार में नजर आएंगी, जो एक साथ हुई कई चोरियों की जांच में जुटी है। बाकी कलाकारों में सृष्टि डांगे, रेजिना कसांद्रा, मनोबाला और रोबो शंकर शामिल हैं।
दक्षिण में एक्शन फिल्मों को लेकर दीवानगी का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि शनिवार को जारी हुए ‘चक्र’ के ट्रेलर को अब तक करीब 20 लाख लोग देख चुके हैं। इतनी भीड़ सिनेमाघरों में आ जाए तो फिल्म बनाने वालों की बल्ले-बल्ले हो जाए।