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टोंक

आचार्य ज्ञानसागर ने कारागृह में बंदियों को मंगल प्रवचन में कहा, प्रभु की अदालत में न्याय रुपयों से नहीं होता

आचार्य ज्ञानसागर ने कारागृह में बंदियों को संबोधित करते हुए कहा कि लोक अदालत में भले ही आप पैसों के बल पर जीत जाए पर प्रभु की अदालत में पैसे से हिसाब नहीं होता है, जो जैसी करता है उसको वैसा ही फल मिलता है।

टोंकJan 19, 2020 / 03:52 pm

pawan sharma

आचार्य ज्ञानसागर ने कारागृह में बंदियों को मंगल प्रवचन में कहा, प्रभु की अदालत में न्याय रुपयों से नहीं होता

आचार्य ज्ञानसागर ने कारागृह में बंदियों को मंगल प्रवचन में कहा, प्रभु की अदालत में न्याय रुपयों से नहीं होता

टोंक.आचार्य ज्ञानसागर का शनिवार को श्री दिगंबर जैन नसिया अमीरगंज टोंक में प्रात: 10 बजे गाजे-बाजे के साथ मंगल प्रवेश हुआ। समाज के प्रवक्ता पवन कंटान एवं अनिल सर्राफ ने बताया की आचार्य के मंगल प्रवेश को लेकर काफी संख्या में लोग इंडस्ट्रीज एरिया पहुंचे, वहां से विहार कराते हुए घंटाघर, सुभाष बाजार, काफला बाजार, बड़ा कुआं होते हुए श्री दिगंबर जैन नसिया में पहुंचे।
जहां पर समाज अध्यक्ष धर्मचंद आंडरा, पारस चंद बरवास ,श्याम लाल जैन, सुरेश संघी, बाबूलाल जैन, कमल सर्राफ, अंकुर पाटनी आदि ने नसिया परिसर में अगवानी की। इसके बाद आयोजित धर्मसभा में आचार्य ज्ञानसागर ने कहा कि विषय भोग जीवन काल में भले ही अच्छे लगते हैं, लेकिन वह दुखदाई होते हैं औरपतन कराते हैं, विषय भोगों से जिनका जीवन ऊपर उठ जाता है, वहीं आत्मा से परमात्मा बन जाता है इससे पहले मुख्य बाजारों में आचार्य का जगह-जगह चरण प्रक्षालन किया गया।

दोपहर में आचार्य ज्ञानसागर ने कारागृह में बंदियों को संबोधित करते हुए कहा कि लोक अदालत में भले ही आप पैसों के बल पर जीत जाए पर प्रभु की अदालत में पैसे से हिसाब नहीं होता है, जो जैसी करता है उसको वैसा ही फल मिलता है।

आचार्य का मंगल प्रवचन सुनकर 25 कैदियों बंदियों ने बुराइयों को दूर करने का संकल्प लिया। इस मौके पर जेलर सत्यनारायण शर्मा ने आचार्य को श्रीफल समर्पित किया।

भगवान श्रद्धा भाव के वशीभूत
बघेरा (टोडारायसिंह.). भगवान भक्त की श्रद्धा भावना के वशीभूत होते हैं। यह बात कथा वाचक गोविंद कृष्ण शास्त्री ने बघेरा में आयोजित श्रीमद्भागवत ज्ञान यज्ञ कथा महोत्सव में कही। उन्होंने कहा कि भगवान भक्त के हृदय को दृष्टिगत रखते हुए उसकी श्रद्धा भावना देखते हैं, क्योंकि भगवान भावना के वश में होते हैं।
मनुष्य को सांसारिक भौतिक सुविधाओं के वशीभूत नहीं होकर ईश्वर भक्ति करना चाहिए। उन्होंने भागवत का निर्माण, वश शुकदेव के जन्म की कथा का वर्णन करते हुए भगवान के 24 अवतारों का वर्णन सप्रसंग सुनाया। इस मौके पर श्याम सुन्दर शास्त्री द्वारा मंत्रोचारण के साथ पूजा अर्चना व आरती की गई।

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