शांतिधारा के पुण्यार्जक धनराज सोनी, पारसमल बिलासपुरिया, निर्मल सोनी, अजय कोठारी, कुशाल जैन थे। जैन धर्मावलंबियों की ओर से जिन धर्म प्रभावना जुलूस निकाला गया। जुलूस माणक चौक से रवाना होकर छोटा बाजार, बाबरो का चौक होते हुए महावीर चौक पहुंचा। जहां से पाटनियों का मोहल्ला, रामशिला होते हुए माणक चौक पहुंचा।
जुलूस में समाज के महिला-पुरुष हाथों में केसरिया ध्वज थामे हुए आदिनाथ भगवान के जयकारे लगाते चल रहे थे। महिला मंडल की शेफाली, सोनिया, सीमा, दिव्या, नेहा, हेमा, वर्षा, तृप्ति, रेखा आदि महिलाएं नृत्य करते चल रही थी।
जुलूस पर जगह-जगह पुष्प वर्षा की गई। समाज के लोगों ने श्रीजी की झांकी के समक्ष श्रीफल चढ़ाकर आशीर्वाद लिया। मंदिर समिति के अनिल भोसा ने बताया कि दोपहर में आदिनाथ मंडल विधान की पूजा की गई। इसमे सर्वप्रथम मंडल विधान की रचना कर पांच मंगल कलशों की स्थापना की गई।
मंडल पर अशोक, संजू, चेतन, चंद्रकला, अशोक, उर्मिला, जिनेंद्र चंद्रकांता, दिनेश, संगीता, जीतू, निशा आदि ने श्रीजी को 128 अघ्र्य एवं श्री फल चढ़ाए। सांस्कृृतिक कार्यक्रम प्रभारी मधु लुहाडिय़ा, संगीता बिलासपुरिया व अनीता चौधरी के निर्देशन में शाम को णमोकार महामंत्र का जाप, 48 दीपकों से भक्तामर स्त्रोत का पाठ, भजन व प्रश्नोत्तरी आदि के कार्यक्रम हुए।
कनक महिला मंडल की ओर से बनाए गए पालने में भगवान आदिनाथ के बाल रूप को झूला झुलाया गया। इस अवसर पर मंजू, रिंकू, पूनम, अनीता, स्वीटी, संजू आदि महिलाएं मौजूद थी।