जबकि इसका निर्माण 16 करोड़ रुपए की लागत से इस लिए किया गया था कि किसानों को विभिन्न प्रकार के प्रशिक्षण दिए जाएंगे। साथ ही आमजन को समारोह के लिए भी किराए पर दिया जा सकेगा, लेकिन सत्यापन के चलते इसकी बिजली और काटनी पड़ गई है।
इस कृषि ऑडिटोरियम में नीचे 450 और बालकनी में 150 सहित कुल 600 लोगों के साथ बैठने की व्यवस्था है। इसके अलावा 4 वीआइपी रूम, 120 लोगों की क्षमता वाला कॉन्फ्रेंस हॉल, रिसर्च रूम, कैंटिन के अलावा कई सुविधाएं उपलब्ध हो सकेगी। आग से सुरक्षा के भी आधुनिक इंतजाम के अलावा पार्किंग, गार्डन आदि भी इसकी सुंदरता में चार चांद लगा रहे हैं। इस ऑडिटोरियम का मुख्यमंत्री अशोक गहलोत वर्चुअल उद्घाटन भी कर चुके हैं, लेकिन निर्माण कार्य के सत्यापन के चक्कर में इसे विपणन बोर्ड से कृषि प्रशिक्षण संस्थान के सुपुर्द नहीं किया जा रहा है।
कृषि प्रशिक्षण केन्द्र के उपनिदेशक रमेशचंद महावर ने मार्केटिंग कमेटी के माध्यम से निर्माण कार्य, सामग्री और सामान के सत्यापन के बाद लेने को कहा है। वहीं विपणन बोर्ड इसे पूर्ण करने के बाद देने को तैयार है।
दोनों के बीच इसी मामले को लेकर ऑडिटोरिय ताले में बंद है। इसका बिजली का बिजली बिना किसी कार्य के होने के बावजूद करीब एक लाख रुपए प्रति माह होने के चलते फिलहाल कटवा दिया है।
ताकि जब यह सुपुर्द किया जाए और चालू हो तो विद्युत वितरण निगम से इसे फिर से चालू कराया जा सके।
इधर, सूत्रों ने बताया कि सत्यापन कमेटी में कृषि विभाग के इंजीनियर, प्रशिक्षण संस्थान दुर्गापुरा के अभियंता, कोटा के उपनिदेशक तथा राजकीय कृषि प्रबंधन संस्थान शामिल है। इधर, कृषि विपणन बोर्ड के अधिशासी अभियंता गोपाल मीणा ने बताया कि ऑडिटोरियम तैयार है।
सत्यापन के बाद इसे प्रशिक्षण संस्थान को सुपुर्द किया जाएगा, लेकिन कोरोना महामारी के चलते सत्यापन नहींं हो रहा है। ऐसे में इसकी बिजली निगम से कटवा दी गई है, जो बाद में ले ली जाएगी।
4 से 5 लाख होगा किराया
कृषि प्रशिक्षण संस्थान के अधिकारियों ने बताया कि कृषि ऑडिटोरियम किसानों को प्रशिक्षण देने के लिए बनाया गया है। इसमें करीब 100 एसी है। वहीं ऑटोमेटिक बिजली व्यवस्था है। जिला कलक्टर ने निजी समारोह के लिए 24 घंटे के 4 से 5 लाख रुपए का किराया तय कर सरकार के पास प्रस्ताव भेजा है।