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आजादी के समय व देश के बंटवारे के दौरान पाकिस्तान गए लोगों की थी जमीन: 70 साल बाद 61 किसानों को कस्टोडियन भूमि आवंटित

खातेदारी से वंचित थे किसानपीपलू. बनवाड़ा में कस्टोडियन कृषि भूमि पर देश के विभाजन के समय से काबिज खातेदारी अधिकारों से वंचित रहे काश्तकारों को प्रशासन गांव के संग शिविर में कृषि भूमि के आवंटन की कार्रवाई की गई। इस तरह 70 वर्षों से कब्जा काश्त कर रहे किसानों की खातेदारी अधिकार दिलाने की मांग पूरी हुई है।

टोंकDec 08, 2021 / 08:51 pm

jalaluddin khan

आजादी के समय व देश के बंटवारे के दौरान पाकिस्तान गए लोगों की थी जमीन: 70 साल बाद 61 किसानों को कस्टोडियन भूमि आवंटित

आजादी के समय व देश के बंटवारे के दौरान पाकिस्तान गए लोगों की थी जमीन: 70 साल बाद 61 किसानों को कस्टोडियन भूमि आवंटित

आजादी के समय व देश के बंटवारे के दौरान पाकिस्तान गए लोगों की थी जमीन: 70 साल बाद 61 किसानों को कस्टोडियन भूमि आवंटित
खातेदारी से वंचित थे किसान
पीपलू. बनवाड़ा में कस्टोडियन कृषि भूमि पर देश के विभाजन के समय से काबिज खातेदारी अधिकारों से वंचित रहे काश्तकारों को प्रशासन गांव के संग शिविर में कृषि भूमि के आवंटन की कार्रवाई की गई। इस तरह 70 वर्षों से कब्जा काश्त कर रहे किसानों की खातेदारी अधिकार दिलाने की मांग पूरी हुई है।

शिविर में कुल 61 काश्तकारों को उनके निरंतर कब्जे काश्त की कुल 117 बीघा भूमि आवंटित की गई। यह आवंटन राजस्थान भू-राजस्व (निष्क्रांत कृषि भूमि का स्थायी आवंटन) नियम, 196 3 के अनुसार किया गया है।
उक्त आवंटन स्थायी कृषि भूमि आवंटन सलाहकार समिति की राय ली जाकर किया गया। राजस्व विभाग की नवीनतम संशोधित अधिसूचना दिनांक 23 मार्च18 अनुसार किसानों को देय राशि में छूट का लाभ देते हुए लघु सीमांत काश्तकारों से आवंटित भूमि की डीएलसी दर से मूल्यांकन की दस प्रतिशत राशि जमा करते हुए उपखंड अधिकारी द्वारा सनद पट्टा जारी किया गया।

नहीं मिल रहा था लाभ
बनवाड़ा में खाता संख्या 477 में रकबा 475 बीघा 2 बिस्वा कस्टोडियन भूमि है, जो कि आजादी के समय व देश के बंटवारे के दौरान पाकिस्तान चले गए लोगों की थी।

उक्त भूमि वर्तमान में सिवायचक पुनर्वास महकमा कस्टोडियन थी, जिस पर लगभग 70 वर्षों से बनवाड़ा में किसान कब्जा काश्त कर खेती के रुप में कृषि कर अपना जीवन यापन कर रहे थे।


ग्रामीणों ने बताया कि उक्त पर भूमि खेती कर रहे किसानों के खोतदारी नाम राजस्व रिकॉर्ड में दर्ज नहीं होने की वजह से अब तक किसी भी प्रकार का कोई लाभ भी नहीं मिल पा रहा था एवं ना ही किसान क्रेडिट कार्ड बनवा पा रहे थे तथा सरकार की किसी भी जनकल्याणकारी योजनाओं का लाभ भी नहीं उठा पा रहे थे।
राजस्व विभाग के तहसीलदार पीपलू द्वारा हर वर्ष में दो बार 1100 रुपए प्रति बीघा की पेनल्टी वसूल करने का नोटिस देकर पेनल्टी वसूली जा रही है थी।

विधानसभा में उठा था मद्दा
उल्लेखीनय है कि क्षेत्रीय विधायक ने भी कस्टोडियन सिवाय चक भूमियों पर वर्षो से काबिज किसानों को भूमि आवंटन और खातेदारी देने का मुद्दा विधानसभा में उठाया था।

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