जितेन्द्रसिंह ने दावा किया है कि शतावरी की तस्करी का राजस्थान में ये पहला मामला है। ऐसा पहली बार हुआ है कि इसकी तस्करी करते पकड़ा गया है। सम्भावनाएं है कि ये लोग कई सालों से निवाई तथा सोहेला वन क्षेत्र से इसकी तस्करी करते थे, लेकिन पकड़े अब गए हैं।
वन विभाग के कर्मचारियों ने बताया कि वन क्षेत्र से शतावरी लेने के लिए दो दर्जन लोग आते हैं। ये रात में खुदाई करते हैं और सुबह जल्द ही निकल जाते हैं। ऐसे में पहाड़ी क्षेत्र में हो रहे औषधियों के खनन की जानकारी नहीं मिल पाती।
कर्मचारियों ने बताया कि आरोपित वन क्षेत्र से औषधि शतावरी लेकर मध्यप्रदेश के श्योपुर स्थित मंडी में बेचते हैं। अच्छे दामों पर बिकने वाली शतावरी के चलते ये लोग यहां आते हैं।
इस काम आती है
जानकारों का कहना हैकि शतावरी का उपयोग कई रोगों में काम आता है। खास तौर पर ये औषधि ताकत को बढ़ाने का काम आती है। साथ ही शारीरिक कमजोरी को दूर करने समेत अन्य रोगों में भी इसका उपयोग अन्य जड़ी-बूटियों के साथ मिलाकर किया जाता है। ऐसे में ये बाजार में महंगे दामों पर मिलती है।