ग्रामीणों ने बताया कि पूरे गांव में ग्रामीणों ने बघेरों के डर से बाड़ों व मकानों के बाहर लाइट जलाकर रखते हैं, जिससे तेज रोशनी में बघेरे नजर आ जाए। उन्होंने बताया कि पिछले दो वर्ष से बघेरों ने गांव के सभी श्वानों, नील गायों तथा दर्जनों मवेशियों को शिकार बना चुके हैं। जिससे ग्रामीण भयभीत है। रात में खेतों पर फसलों की निगरानी करते समय किसानों को बघेरे का ही डर रहता है। थोड़ी सी आहट पर रात भर चौकन्ना रहना पड़ता है, लेकिन वन विभाग के अधिकारियों ने बघेरों को पकडऩे के लिए दो वर्ष में कोई योजना नहीं बनाई।
बीस दिन पूर्व भी नोहटा की पहाड़ी पर एक साथ तीन बघेरे नजर आए थे। गांव नोहटा के साथ साथ बस्सी, बारेडा, किवाड़ा, रामनगर, धतूरी, करीरिया सहित आसपास के गांवों में बघेरों का मूमेंट रहता है और इन गांवों में बघेरों ने मवेशियों, नील गाय तथा श्वानों का शिकार कर चुके हैं।
बघेरों के डर से गांव बस्सी और किवाडा में ग्रामीणों ने अपने पशुओं को बचाने के लिए रात में पहरेदारी भी कर चुके हैं, लेकिन वन विभाग अभी तक एक खाली पिंजरा रखकर खानापूर्ति ही की है। जबकि करीब तीन माह पूर्व सहायक वन संरक्षक लाखनसिंह ने नोहटा के ग्रामीणों को आश्वासन दिया था कि शीघ्र ही बघेरों को पकडकऱ अभ्यारण्य भेज दिया जाएगा, लेकिन बिना शिकार के पिंजरा रखकर केवल खानापूर्ति की है।
कांटोली में बछड़े का किया शिकार
नोहटा में ग्रामीणों के भगाने के बाद बघेरे ने शनिवार देररात को गांव कांटोली में नादान गुर्जर के बाड़े में बछड़े का शिकार कर मार दिया। नोहटा के ग्रामीणों ने बताया कि पहाडिय़ों में करीब 6 बघेरे दिखाई दिए हैं।