यहां वर्षभर धार्मिक अनुष्ठान, भजनकीर्तन, रामायण पाठ आदि के आयोजन होते रहते हैं। भौमियाजी के सेवक बजरंग कराड़ व रामपाल जाट ने बताया कि यह स्थान प्राचीन काल से जन आस्था का केंद्र रहा है। यह स्थान गांव से दूर घने जंगल के बीच स्थित है।
लगाए गए कई किस्म के पेड़-पौधे वहीं यहां पर नवाचारी शिक्षक दिनकर विजयवर्गीय की प्रेरणा तथा राजस्थान पत्रिका के हरयाळो राजस्थान अभियान के तहत पर्यावरण को लेकर अनेक प्रकार के पेड़ पौधे लगाए गए हैं। इससे यह स्थान हरा भरा हो जाने से आगंतुकों का मन हर के बहुत सुकून देता है। यहां लगे पेड़ पौधों की देखभाल रामनारायण वार्ड पंच कर रहे हैं।
गांव में था पानी का संकट
ग्रामीणों ने तालाब किनारे कुआं खुदाई करते हुए इस समस्या का हल निकाला था। आज भी वह कुआं गांव में बीसलपुर पेयजल योजना के पॉइंट लग जाने के बाद भी आते जाते राहगीरों तथा ग्राम वासियों की प्यास बुझा रहा है।
यहां के लोगों का मुख्य व्यवसाय पशुपालन, कृषि, दुग्ध उत्पादन है। यहां गेहूं, सरसों की खेती लोग बहुतायात में करते हैं। यहां की फसलों की सिंचाई के लिए किसान बारिश व परंपरागत जलस्त्रोतों पर निर्भर रहते हैं। गांव में मुख्य समस्या तहसील मुख्यालय तक सडक़ मार्ग का अभाव होना है। ग्रामीणों ने बताया कि की इमामनगर से अलीमपुरा के बीच मियारामपुरा बलखंडिया होते हुए सडक़ मार्ग का निर्माण करवा दिया जाए तो समस्या हल हो सकती है। गांव में शिक्षा की दृष्टि से प्राथमिक स्तर का विद्यालय है।
इसके अलावा यहां के लोग श्रम से जी नहीं चुराते हैं, बल्कि श्रमदान करके गांव के परम्परागत जल स्रोत नाड़ी को खुदाई करके गहरा किए फलस्वरूप पंचायत ने नाड़ी की पाल पर स्नान घाट का निर्माण कराया। नाडी के चारों ओर कई छायादार वृक्ष पत्रिका के हरयाळो राजस्थान कार्यक्रम से प्रेरित होकर ग्रामीणों ने लगाए हैं।