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Corona Ke Karmveer: परिवार की दुआओं का सहारा, कर्मवीर बचा रहे है लोगों की जान

दुनियाभर में छाई कोरोना वायरस कोविड-19 महामारी के बीच जहां लोग घरों में हैं। वहीं कुछ लोग ऐसे भी हैं जो लोगों की जिंदगी बचाने के लिए अपने परिवार की दुआओं के सहारे है। ये कोरोना वारियर्स सआदत अस्पताल के एक चिकित्सक व दो मेल नर्स है।

टोंकApr 03, 2020 / 10:57 am

pawan sharma

Corona Ke Karmveer: परिवार की दुआओं का सहारा, कर्मवीर बचा रहे है लोगों की जान

Corona Ke Karmveer: परिवार की दुआओं का सहारा, कर्मवीर बचा रहे है लोगों की जान

टोंक. दुनियाभर में छाई कोरोना वायरस कोविड-19 महामारी के बीच जहां लोग घरों में हैं। वहीं कुछ लोग ऐसे भी हैं जो लोगों की जिंदगी बचाने के लिए अपने परिवार की दुआओं के सहारे है। ये कोरोना वारियर्स सआदत अस्पताल के एक चिकित्सक व दो मेल नर्स है। दो दिन से तो इन्होंने परिवार की शक्ल तक नहीं देखी है।
महज सोशल मीडिया के माध्यम से ही पत्नी, बेटे, मां व पिता से बात कर रहे हैं। उनके स्वास्थ्य के लिए पूरा परिवार दुआएं कर रहा है। ये कर्मवीर सआदत अस्पताल के चिकित्सक संदीप राजोतिया, मेल नर्सविकास वैष्णव तथा शिवकांत पाटीदार है। विकास वैष्णव तो कोरोना वायरस संदिग्धों की जांच गत जनवरी से ही कर रहे हैं।
उन्हें पता हैकि महामारी जानलेवा है, लेकिन लोगों को बचाने की सोच में वे सेवा में जुटे हुए हैं। विकास ने बताया कि सबसे पहले जनवरी में चीन से मेडिकल विद्यार्थीटोंक आए थे। उनकी स्क्रीनिंग की गई। तब से ही उन्हें जांच टीम में शामिल कर लिया गया। मार्चमें जब प्रदेशभर में पॉजिटिव के आंकड़े आए तो वे सकते में आ गए, लेकिन बिना घबराए प्रदेश के अन्य जिलों, विदेश तथा अन्य राज्यों से टोंक आने वालों की लगातार जांच कर रहे हैं।
विकास ने बताया कि बेटे वैभव तथा पत्नी नीलम से अधिकतर समय वीडियो कॉलिंग से ही बात कर पाए हैं। उनकी पत्नी भगवान से विकास को स्वस्थ्य रखने की प्रार्थना करती रहती है। इसी प्रकार डॉ. संदीप राजोतिया व शिवकांत पाटीदार का परिवार भी दुआएं कर रहा है। विकास ने कहा कि कोरोना वायरस महामारी जानलेवा है। सरकार के दिशा-निर्देश की लोगों को पालना करनी चाहिए।

सेवा के लिए महिलाएं भी आई आगे
मालपुरा. वैश्विक बीमारी कोरोना के चलते दिहाड़ी मजदूरो के हो रहे पलायन को रोकने के लिए प्रशासन की ओर से व्यवस्थाए की गई, लेकिन मजदूरों के कदम रुकने का नाम नहीं ले रहे। वहीं मजदूर एक राज्य से दूसरे राज्यों में अपने गांवों में पहुंचने के लिए हजारों किलोमीटर का सफर भूखें प्यासे पैदल तय कर रहे है। प्रशासन की तैयारियां व समझाइश भी उनके घर पहुंचने के जज्बें को नहीं रोक पा रही है। वहीं सेवादार भी इनकी सेवा करने में पीछे नहीं रह रहे।

अहमदाबाद से आगरा, महाराष्ट्र से जयपुर की ओर पैदल जा रहे श्रमिकों को प्रशासन ने आश्रय स्थल में रोकने का प्रयास किया, लेकिन भूखे प्यासे मजदूर अपने गंतव्य की ओर जाने के लिए प्रशासन से मिन्नत करते रहे। अहमदाबाद से आगरा तक के 900 किलोमीटर के लम्बे सफर में पैदल जा रहे श्रमिकों के दल को जयपुर रोड टोल नाके पर पुलिस द्वारा रोके जाने के बाद उनकी भूख प्यास की व्यथा सुनकर एक पुलिसकर्मी ने रात के समय समाजसेवियों को उनके भोजन की व्यवस्था के लिए फोन किया तो लॉकडाउन के चलते होटल व हलवाइयों की दुकानें बंद होने से तत्काल भोजन तैयार नहीं होने की व्यवस्था के कारण एक मोहल्ले की सभी महिलाओं ने मिलकर तत्काल भोजन तैयार कर श्रमिकों को भोजन उपलब्ध कराया।

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