इसमें बताया कि उसकी बहन जयपुर रहती है। उसका 12 साल का बेटा 5 माह से पीड़िता के पास रह रहा है। वह निजी स्कूल चलाती है। ऐसे में उसने भांजे अरमान से स्कूल चलने को कहा। लेकिन उसकी तबीयत खराब होने पर घर पर ही छोड़ गई।
फोन आया तो घबरा गई
पीड़िता ने रिपोर्ट में बताया कि वह दोपहर ढाई बजे सुभाष बाजार से गुजर रही थी। तभी उसके पास एक जने ने स्वयं को पुलिस अधिकारी बनकर फोन किया। इसमें कहा कि उनका बच्चा एक अपराध में शामिल है। फोनकर्ता ने कहा कि पुलिस ने बलात्कार मामले में चार बच्चों को पकड़ा है। इसमें उनका बच्चा भी शामिल है। वह नाबालिग होने पर जमानत हो जाएगी। ऐसे में उनके खाते में 20 हजार रुपए डाल दो।
घर आई तो नहीं मिला बच्चा
पीड़िता घबराकर घर पहुंची। जहां बेटी से अरमान के बारे में पूछा तो जवाब मिला कि वह तो सुबह 9 बजे ही घर से स्कूल के लिए निकल गया। ऐसे में पीड़िता फोनकर्ता की बात को सही समझ बैठी। ऐसे में उसने फोनकर्ता से कहा कि 20 हजार रुपए तो नहीं है। इसके बाद पीड़िता ने दो बार में 3 और 2 हजार रुपए समेत कुल 5 हजार रुपए डाल दिए। शाम को उसका बच्चा कहीं से घर आ गया। इसके बाद पीड़िता ने आरोपियों के खिलाफ कोतवाली थाने में रिपोर्ट दी है।
साइबर ठगी का मामला है। पुलिस लोगों से लगातार समझाइश करती है। ऐसे मामले में लोगों को चाहिए कि वे पहले पुलिस के पास जाए और किसी के खाते में राशि नहीं डाले।
सलेह मोहम्मद, पुलिस उपाधीक्षक टोंक
कृषि विभाग की कपास की बिजाई पर सलाह, ये सावधानी बरतेंगे तो किसान बनेंगे मालामाल
साइबर अपराध से बचने के लिए व्यक्तिगत जानकारी या कोई बैंकिंग विवरण किसी अज्ञात व्यक्ति को कॉल या संदेश के माध्यम से ओटीपी कभी साझा नहीं करनी चाहिए। तो किसी अनजान व्यक्ति के भेजे गए लिंक पर क्लिक नहीं करना चाहिए। पासवर्ड को हमेशा मजबूत रखें। साइबर क्राइम की घटना होती है तो नजदीकी थाने में शिकायत की जाए। साथ ही भारत सरकार की ओर से जारी साइबर क्राइम हेल्पलाइन नम्बर 1930 पर कॉल किया जाए। हालांकि जिला पुलिस की ओर से गत एक जनवरी से साईबर रेस्पोंस सैल का गठन किया है। इसके हेल्पलाइन नम्बर 9256880508 हैं।