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आचार्य विभव सागर के सान्निध्य में मुनि दीक्षा लेे दीक्षार्थी विरेन्द्र बने शुद्ध सागर

आचार्य विभव सागर के सान्निध्य में दीक्षार्थी विरेन्द्र को उनके माता-पिता व परिवार से इजाजत लेकर मुनि दीक्षा देकर शुद्ध सागर नाम से नामंकरण किया गया।

टोंकOct 12, 2019 / 03:06 pm

Vijay

आचार्य विभव सागर के सान्निध्य में मुनि दीक्षा लेे दीक्षार्थी विरेन्द्र बने शुद्ध सागर

आचार्य विभव सागर के सान्निध्य में मुनि दीक्षा लेे दीक्षार्थी विरेन्द्र बने शुद्ध सागर

निवाई. सकल दिगम्बर जैन समाज के तत्वावधान में आचार्य विभव सागर के सान्निध्य में शुक्रवार को दीक्षार्थी विरेन्द्र को उनके माता-पिता व परिवार से इजाजत लेकर मुनि दीक्षा देकर शुद्ध सागर नाम से नामंकरण किया गया। जैन समाज के प्रवक्ता विमल जौला व राकेश संघी ने बताया कि दीक्षा से पूर्व विरेन्द्र ने सकल दिगम्बर जैन समाज से मुनि दीक्षा लेने की स्वीकृति ली।
इसके बाद आचार्य विभव सागर ने दीक्षार्थी विरेन्द्र को दीक्षा विधि के साथ संस्कार दिए, जिसमें सर्वप्रथम आचार्य द्वारा दीक्षार्थी के सिर पर जल से वृहद शांति मंत्रों के द्वारा शांतिधारा की गई। इसके बाद दीक्षार्थी का केश लौंच हुआ, जिसे देखकर सभी श्रद्धालु भाव विभोर हो उठे।
इस दौरान सिर का प्रक्षालन कर मस्तक पर केसर से श्रीकार लिखकर स्वस्तिक बनाया। इसके बाद आचार्य श्री ने 24 तीर्थकरों का स्मरण कर सोलह प्रकार के संस्कार दिए, जिसमें 108 लोंग से मंत्रोच्चार के साथ संस्कार दिए गए। कार्यक्रम के तहत आचार्य ने अष्ट मंगल द्रव्य से दीक्षार्थी भैया की अंजली भर 28 मुलगुणों के संस्कार दिए गए।
बाद में जेनेश्वरी मुनि दीक्षा ली। इसके बाद मुनि शुद्ध सागर को हुकमचन्द पारसमल द्वारा नवीन पिच्छिका दी गई। नवीन कमण्डल सुशील कुमार नीरा जैन, राहुल कुमार जैन ने एवं मुनि को शिमला जैन, शशि सोगानी आशा गिन्दोडी ने भेंट किया। जिनवाणी भेंट सत्यनारायण मोठूका ने किया।
जाप माला रतनलाल महेन्द्र कुमार सारसोप ने भेंट की। केश लौंच धारण योगेन्द्र सिंघल झिलाय द्वारा किया गया। कार्यक्रम का संचालन आर्यिका अर्हमश्री ने किया। दीक्षा से पूर्व आचार्य विभव सागर महाराज का पिच्छिका परिवर्तन समारोह आयोजित हुआ। इस दौरान आचार्य श्री ससंघ का पादप्रक्षालन शास्त्र भेंट व नवीन पिच्छिका दी गई।
कार्यक्रम के दौरान श्रद्धालुओं द्वारा अनेक शास्त्र पुस्तकों का विमोचन कर आचार्य संघ को भेंट किया गया। इस दौरान आचार्य एवं अर्हमश्री माताजी ने सम्बोधित किया। इस अवसर पर सुशील गिन्दोडी जयकुमार आण्डरा, महेन्द्र भाणजा, सुनील भाणजा, राहुल बोहरा, मंदिर अध्यक्ष महावीर प्रसाद जैन, मंत्री अशोक सिरस, महावीर प्रसाद पराणा, विष्णु बोहरा, महेन्द्र चंवरिया, नेमीचंद जैन, महेन्द्र जैन, आशीष चंवरिया, धर्मचन्द नेहरु, मोहनलाल कठमाणा अतुल ठोल्या, अजीत काला, त्रिलोक रजवास सहित कई श्रद्धालु मौजूद थे। महोत्सव में देश भर से आए श्रद्धालुओं ने भाग लिया।

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