इस कार्रवाई को लेकर मेडिकल दुकानदारों (Medical store) में हडक़म्प मच गया। सामुदायिक चिकित्सालय के बाहर केबिन में संचालित मेडिकल स्टोर की शिकायत 15 नवंबर 2018 को औषधि नियंत्रक अधिकारी (Drug controller officer) से की गई थी। उन्होंने इसकी जांच की थी।
read more: पत्नी बच्चों के साथ गई पीहर , पीछे से पती ने फंदे से झूलकर दी जान इसमें पाई गई कमियों की रिपोर्ट उच्चाधिकारियों को सौंप दी, लेकिन रिपोर्ट देने के बावजूद कोई कार्रवाई नहीं कर 6 माह तक मामले को दबाने का प्रयास किया। शिकायतकर्ता ने अतिरिक्त मुख्य सचिव चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग (Chief medical and health epartment) को शिकायत दी।
तब अतिरिक्त मुख्य सचिव चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग रोहित कुमार सिंह के आदेश के बाद हरकत में आए ड्रग विभाग ने इंदिरा मेडिकल स्टोर का ड्रग लाइसेंस एक से 15 जुलाई तक के लिए निलंबित कर दिया।
read more: video: बाजार बंद रख व्यापार संघ ने जताया विरोध, कचरा संग्रहण राशि वसूली के खिलाफ कलक्ट्रेट में किया प्रदर्शन जबकि एक अन्य मेडिकल स्टोर पर कार्रवाई नहीं की गई। औषधि नियंत्रक अधिकारी ने जांच रिपोर्ट में लिखा कि शिकायतकर्ता को दी गई दवाइयां एवं चिकित्सकों द्वारा लिखी गई दवाइयों के साल्ट अलग-अलग पाए गए। उन्होंने जांच रिपोर्ट में बताया कि दुकान की छत टीन से बनी हुई है।
इससे दवाइयों का तापमान (Temperature) मेंटेन नहीं रखा जा सकता। अस्पताल के गेट स्थित दो मेडिकल स्टोर से दवाई खरीदी गई थी। दोनों ने ही दवाई गलत दी थी। इसकी शिकायत अतिरिक्त मुख्य सचिव चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग राजस्थान से की गई थी।
शिकायत करूंगा
जांच अधिकारी द्वारा दोनों दुकानों की जांच कर रिपोर्ट उच्च अधिकारियों को दी थी, लेकिन कार्रवाई के नाम पर एक दुकान पर कार्रवाई की गई दूसरी को छोड़ दिया गया। इसकी शिकायत अतिरिक्त मुख्य सचिव चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग से करूंगा।
-सियाराम शर्मा, शिकायतकर्ता
रिपोर्ट उच्चाधिकारियों को दी थी
मैंने जांच कर रिपोर्ट उच्चाधिकारियों को दी थी। इन पर क्या कार्रवाई की गई है। मेरी जानकारी में नहीं है। यह उच्चाधिकारी ही बता सकते हैं।
– देवेंद्र केदावत, औषधि नियंत्रक अधिकारी टोंक