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video: खेतों में बहा रहे पसीना, फसल कटाई में जुटे किसान

गुणवत्ता व फसल उत्पादन पर पड़े विपरीत प्रभाव से क्षेत्र के किसानों के माथे पर चिन्ता की लकीरें हैं

टोंकSep 22, 2017 / 09:05 am

pawan sharma

 खेत में लावणी

आवां क्षेत्र के चांदसिंहपुरा में खेत में लावणी करती महिलाएं।

आवां.

क्षेत्र में खरीफ फसल कटाई जोरों पर है। ज्वार, बाजरा, मक्का, तिल, उड़द व मूंग की लावणी करने के लिए किसान परिवार सूर्योदय से पहल खेतों को निकल पड़ते हैं। जहां रात तक पसीना बहाकर उपज को निकालने में लगे रहते हैं। इस कटाई के चलते विद्यालयों में विद्यार्थियों की उपस्थिति भी खासी प्रभावित हो रही है।
चांदसिंहपुरा के खेतों में लावणी कर रही महिलाओं ने बताया कि दलहनी फसलों में रोग लगने और बारिश की कमी ने उनके सपनों पर पानी फेर दिया है। गुणवत्ता व फसल उत्पादन पर पड़े विपरीत प्रभाव से क्षेत्र के किसानों के माथे पर चिन्ता की लकीरें हैं। बद्री लाल, भंवर लाल, मोहन, छीतर, रामकुंवार, शंकर लाल आदि ने बताया कि तालाब, बांध, एनिकट और कुओं में पानी की कमी से रबी की बुवाई पर भी सकंट गहराता जा रहा है। ऐसे में किसान परिवार का घर-खर्च चलाना मुश्किल होता जा रहा है।
सीखाए खेती के गुर
बंथली. कृषि विभाग व ब्रह्मकुमारी ग्राम विकास विभाग की ओर से चारनेट स्थित दर्रा बालाजी मंदिर परिसर में उपप्रधान रमेश भारद्वाज के मुख्य आतिथ्य में संगोष्ठी का आयोजन हुआ। इसमें किसानों ने खेती के गुर सीखे। उपप्रधान ने कहा कि खेती की पुरानी पद्धति को अपनाना होगा।
अध्यक्षता कर रही सरपंच सुनिता मीणा ने किसानों को सरकारी योजनाओं का लाभ लेने व अधिक उत्पादन लेने पर जोर दिया। प्रहलाद भाई ने शास्वत यौगिक खेती से कम लागत में अधिक मुनाफा कमाने के बारे में बताया। संगोष्ठी को रेखा, उपसरपंच रामनारायण गुर्जर ने भी सम्बोधित किया।
किसानों का सशक्तीकरण आवश्यक

उनियारा. प्रजापिता ब्रह्मकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय के प्रहलाद भाई ने कहा है कि शाश्वत योगिक खेती के लिए किसानों का सशक्तीकरण बहुत आवश्यक है। यह बात उन्होंने शिव मंदिर परिसर में ब्रह्मकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय की ओर से आयोजित किसान सशक्तीकरण अभियान के तहत आयोजित विचार गोष्ठी में कही।
उन्होंने कहा कि भारत गांव का देश है। ऐसे मेंं देश को सुखी और समृद्ध बनाने के लिए किसानों का सशक्तीकरण आवश्यक है। इस मौके पर चौथमल जाट, मदन कुमावत, राखी, अलिशा, सूवालाल आदि थे।
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