खनिज विभाग ने चालान बनाने के बाद उक्त ट्रक में भरी बजरी को उसी जगह खाली कराने को कहा है, जहां से उसने खनन किया था। खनिज विभाग ने इसमें हाइकोर्ट के फैसले का हवाला दिया है। इसमें चालान होने के बाद सुपुर्दगी के समय बजरी नदी में खाली करने का शपथ लेना होगा।
हालांकि बजरी खाली होते समय विभाग का कोई कर्मचारी या पुलिसकर्मी साथ नहीं होगा। ऐसे में कई सवाल खड़े हो रहे हैं कि चालक उस स्थान पर बजरी खाली करेगा या नहीं? जहां से खनन कर भरा गया था।
हालांकि आदेश की पालना पूर्णरूप से हो तो नदी में अवैध खनन की वजह से हुए गड्ढे फिर से भर जाएंगे, लेकिन आदेश में चालक को शपथ पत्र के आधार पर ही भरा हुआ वाहन दिया जा रहा है। ऐसा पहला वाहन निवाई सदर थाने ने खनिज विभाग के सहायक अभियंता की ओर से भेजे गए पत्र के बाद छोड़ा है।
खनिज विभाग ने 56 टन बजरी भरे ट्रक को गत 6 अक्टूबर को पकड़ा था। इसके बाद पुलिस के सुपुर्द किया था। ट्रक पर जुर्माना राशि लगाकर वसूली गई थी। इसके बाद थाना प्रभारी को पत्र भेजा गया कि उक्त ट्रक किसी अन्य मामले में जांच के लिए नहीं हो तो उसे बजरी भरा ही छोड़ दिया जाए। चालक से शपथ पत्र लिया जाए कि वह ट्रक में भरी बजरी को वहीं खाली कर दे, जहां से भरा था।
खनिज विभाग टोंक में कर्मचारियों का टोटा है। ऐसे में शपथ पत्र लेने के बाद बजरी खाली करने का भरोसा चालक पर ही जताया है। ऐसे में आशंका जताई जा रही है कि शपथ पत्र देने के बाद चालक जहां से खनन किया था वहां खाली करेगा या नहीं? जबकि होना यह चाहिए था कि बजरी खनन व परिवहन मामले में पकड़ा गया वाहन किसी कर्मचारी की निगरानी में खनन स्थल पर जाता और खाली होता।
जिले से गुजर रही बनास नदी में अवैध खनन रोकने के लिए उच्च न्यायालय ने 16 नवम्बर 2017 को रोक लगा दी थी। इसके बाद से बनास में लीज धारक की ओर से खनन बंद है, लेकिन अवैध खनन पर नियंत्रण पूर्ण रूप से नहीं हो पा रहा है। ऐसे में आए दिन बजरी से भरे वाहन पकड़ में आ रहे हैं। हालांकि खनिज विभाग ने जिले के कई स्थानों पर नाके भी लगा रखे हैं।
खनिज विभाग के पास कर्मचारियों की कमी है। वाहन से बजरी को खाली करने के लिए चालक को शपथ पत्र देना होगा। इसी आधार पर वाहन छोड़ा जाता है।
– संजयकुमार शर्मा, सहायक अभियंता खनिज विभाग टोंक