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12 लाख पशुओं पर संकट, अनुदान के इंतजार में 16 गोशाला संचालक

भीषण गर्मी के साथ चारे एवं अन्य आहार के बढ़ते भावों से जिले के पशुधन पर संकट मंडराने लगा है। जिले में करीब 12 लाख पशु है। वहीं गोशाला संचालकों को सरकार की ओर से मिलने वाले अनुदान का इंतजार है, जो अभी स्थानीय प्रशासन की प्रक्रिया के चलते अटका हुआ है।

टोंकMay 22, 2022 / 02:41 pm

pawan sharma

12 लाख पशुओं पर संकट, अनुदान के इंतजार में 16 गोशाला संचालक

12 लाख पशुओं पर संकट, अनुदान के इंतजार में 16 गोशाला संचालक

टोंक. भीषण गर्मी के साथ चारे एवं अन्य आहार के बढ़ते भावों से जिले के पशुधन पर संकट मंडराने लगा है। जिले में करीब 12 लाख पशु है। वहीं गोशाला संचालकों को सरकार की ओर से मिलने वाले अनुदान का इंतजार है, जो अभी स्थानीय प्रशासन की प्रक्रिया के चलते अटका हुआ है।
जानकारी अनुसार जिले में करीब 35 गोशालाएं संचालित है, जिसमें मापदण्डों के चलते 16 ही अनुदान के लिए पंजीकृत है। जिला मुख्यालय पर चार गोशाला संचालित है, जिसमें गांधी गोशाला में 500, दुधिया गोशाला में 200, वैष्णों देवी गोशाला में 215 एवं पानमल गोशाला में करीब 200 पशुधन है।
वहीं सैकड़ों पशुधन चारे के बढ़ते भावों के चलते मालिकों द्वारा छोड़ दिए जाने से सडक़ों पर विचरण करती हुई देखी जा सकती है। गर्मी के साथ बढ़ते भावों ने गोशाला संचालन पर भी संकट के बादल मंडराने लगे है।
पंजाब व एमपी से चारा आपूर्ति बंद

मार्च माह में पंजाब एवं मध्यप्रदेश से चारा मात्र सात रुपए किलो में मिल रहा था, लेकिन वहां की सरकार द्वारा किल्लत होने पर दूसरे राज्यों में चारे भेजे जाने पर रोक लगा दी गई। वहीं वर्तमान में प्रदेश में भी चारे की किल्लत है। फिलहाल हाड़ौती क्षेत्र से करीब साढ़े ग्यारह रुपए किलो में चारा खरीदा जा रहा है।
1200 से 1900क्र हुआ भाव
मार्च में एक पिकअप चारा करीब 1200 रुपए में उपलब्ध हो जाती थी, जो अब 1900 रुपए की पड़ रही है। वहीं पूर्व में सब्जी मंडी में बचने वाली सब्जियां डेढ़-दो रुपए किलो में खरीद कर खिलाई जाती थी, लेकिन सब्जियों केे भाव बढऩे से वह भी बंद कर दी गई है।

एक गाय पर 80 रुपए तक खर्चा
एक गाय के आहार पर एक दिन का करीब 70-80 रुपए का खर्चा हो रहा है, जो मार्च में 40-50 रुपए एवं अप्रेल में 60 रुपए था। वहीं बढ़ते भावों के चलते जून तक 100 रुपए तक होने के आसार है। गेहूं, बाट, खल एवं हरे चाने के भाव प्रतिदिन बढ़ रहे है।
फाइलों में अटका अनुदान
गांधी गोशाला समिति के कोषाध्यक्ष बालकिशन सोनी ने बताया कि महंगाई के समय में गोशाला का संचालन भामाशाहों पर निर्भर हो गया है। काफी दिनों से अनुदान की फाइल भुगतान के लिए अटकी हुई है।चार बार रिमार्क की पूर्ति की जा चुकी है। हर बार नया कारण बताया जा रहा है। जिले की गोशालाओं की कमोबेश यहीं स्थिति है।

जिला कोष कार्यालय से प्राप्त हो गई है, जिसे स्वीकृत कर अनुदान जारी करने के लिए उच्चाधिकारियों को भेज दी गई है। शीघ्र राशि जारी हो जाएगी।
डॉ. ओम प्रकाश कोली, संयुक्त निदेशक, पशुपालन विभाग, टोंक

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