निगम को इन दिनों प्रतिदिन 4 लाख रुपए का घाटा हो रहा है। निगम की यूं तो 100 बसें 70 शेडयूल पर दौड़ रही है, लेकिन उन्हें आमद काफी कम मिल रही है। जबकि उन्हें रूट के मुताबिक प्रतिदिन 11 लाख रुपए की आमद चाहिए, लेकिन इन दिनों महज 7 से सवा सात लाख रुपए तक ही आमद मिल रही है।
इसमें दूसरा बड़ा नुकसान का कारण सड़कों के जर्जर होना तथा लोकपरिवहन की बसें भी है। इसके चलते राज्य सरकार की ओर से मिल रही राशि से निगम के कर्मचारियों को तनख्वाह मिल रही है।
टोंक आगार की बसें फरीदाबाद, दिल्ली उदयपुर, श्योपुर मध्यप्रदेश, जयपुर-कोटा रूट पर है। वहीं जिलेभर में 40 बसें जा रही है। इनमें से टोडारायसिंह-बरवास, सांखना-नैनवा तथा टोंक-लाम्बाहरिसिंह रूट पर चल रही बसें पूर्ण रूप से नुकसान दे रही है।
इन रूट पर डीजल का आधा खर्च भी नहीं मिल रहा है। वहीं जयपुर-कोटा रूट पर चल रही लोक परिवहन रोडवेज के आगे पीछे चलती है। ऐसे में लोक परिवहन रोडवेज की बस तक सवारियां ही नहीं पहुंचने दे रही है।
गौरतलब है कि डीजल प्रति लीटर डीजल 105 रुपए हो गया है। जबकि रोडवेज की बस सवा 5 किलोमीटर प्रति लीटर का ही ऐवरेज दे रही है। टोंक से सोहेला जाने के दौरान ही रोडवेज बस को दो लीटर से अधिक डीजल चाहिए, जबकि सवारियां महज 100 रुपए की मिलती है।
24 हजार किलोमीटर चलती है बसें
रोडवेज निगम के यातायात प्रभारी सत्यनारायण विजय ने बताया कि टोंक आगार की 100 बसें 70 शेड्यूल पर प्रति दिन 24 हजार 800 किलोमीटर चलती है। इससे निगम को प्रतिदिन 7 लाख रुपए मिल रहे हैं। जबकि ग्रामीण क्षेत्रों में सड़कों की हालात जर्जर होने पर बसों में नुकसान भी हो रहा है। वहीं सवारियां कम होने से भरपाई नहीं हो रही है। ऐसे में लगातार घाटा होता जा रहा है।