वही 3 चैनल गेटों के माध्यम से भी पानी की निकासी बराबर बनी हुई है। ईसरदा मुख्य बांध क्षेत्र मे अभी पानी भरा हुआ है। अगर बांध प्रारंभिक कार्य योजना के समयानुसार बन गया होता तो व्यर्थ बहने वाला पानी सवाईमाधोपुर दौसा जिले के 1089गांवों के लोगों को शुद्ध पेयजल उपलब्ध करवा कर उनके लिए अमृत साबित होता।
देर पर देर होती रही
बनेठा कस्बा के समीप बनास नदी पर ईसरदा मुख्य बांध बनाए जाने के लिए ईसरदा कॉफर डेम 2008 में बनाया गया था।
जिसमें ईसरदा मुख्य बांध निर्माण कार्य के लिए 249 आरएल मीटर पानी रोकने के लिए बनास मे दीवार व पिङ्क्षचग कार्य करवाया गया था। लेकिन इसके निर्माण के बाद वनभूमि आवंटन बजट मुआवजा राजनीतिक दांव पेंच मे फंसकर निर्माण कार्य 18वर्षों तक अटका पड़ा रहा। 2019मे मुख्य बांध निर्माण कार्य शुरू किया गया। जिसे पूर्व की समयावधि के अनुसार दिसंबर 2022 में पूर्ण करना था। लेकिन अब इसकी अवधि बढ़ा कर दिसम्बर 2023 कर दी गई है।
दो बांध भर जाते, इतना पानी बह गया व्यर्थ इस बार अतिवृष्टि से कारण व बीसलपुर बांध के गेट खोले जाने से पानी अधिक बढऩे के कारण पूर्व में दो बार काफर डेम की 2 फीट चादर चल चुकी है। जिसमें अगर ईसरदा बांध निर्माण कार्य पूरा हो जाता तो दो बांध भर जाते। अब तक इतना पानी व्यर्थ बह चुका है। ईसरदा कॉफर डेम की चादर शनिवार दोपहर 1 बजे फिर से पांच सेंटीमीटर की छलक गई। जिससे पानी बनास मे बहता हुआ नजर आया।
खेतों में भरा पानी, किसानों को नुकसान टोंक. मौसम की मार के चलते जिले के किसानों को भारी नुकसान हुआ है। इस साल अच्छे मानसून के चलते बम्पर आवक की उम्मीद थी, लेकिन गत दिनों से चल रही बरसात ने जिले के किसानों के अरमानों पर पानी फेर दिया। अनुमान है कि खेतों में पानी भरे से कटकर पड़ी फसल में 70 प्रतिशत नुकसान हो गया। इस साल जिले में खरीफ की बुवाई दो लाख 70 हजार हैक्टेयर में हुई थी। इसमें ज्वार 74300, बाजरा 53500, मक्का 7200, मूंग 64300, उड़द 38700, मूंगफली 14200, तिल 13 हजार हैक्टेयर में हुई थी।
उम्मीद थी कि इस बार बम्पर फसल होगी। अधिक जगह पर फसल कटकर खेतों में पड़ी थी। किसान अब रबी की बुवाई की तैयारी में थे। दूसरी तरफ गत दिनों ज्यादा बारिश होने से खेतों में पानी भर गया और फसलें गल गई थी। उस समय कृषि विभाग की ओर से कराए गए सर्वे में 96 हजार 459 हैक्टेयर में फसल खराब होने की रिपोर्ट आई थी। ऐसे में एक तिहाई फसल अतिवृष्टि की चपेट में आ गई थी। इसके बाद किसानों को कुछ फसल हाथ लगने की उम्मीद थी और किसानों ने फसल काटकर खेत में रखी थी, लेकिन 2 दिन हुई बारिश से बची फसल भी खराब हो गई।