उपखण्ड के एक छोटे से गांव सांस की ब्रह्मचारिणी संतरा देवी का भरा-पूरा परिवार है। उनके पति अध्यापक स्व. ताराचन्द जैन एक प्रतिष्ठित महाजन परिवार से थे इनके दो पुत्र व दो पुत्रियां है। जिसमें से सबसे बड़े पुत्र कमल कुमार व राजकुमार है। कमल मालपुरा में सर्राफा का कार्य करता है, वहीं छोटा पुत्र जयपुर में व्याख्याता है।
संतरा देवी पांच वर्षों से वर्ष में 4-5 माह अपना गृह त्याग कर धर्म के मार्ग पर चलने के लिए आर्यिका विशुद्धमती की शरण में रह रही है तथा ब्रह्मचारिणी के रूप में संघ सेवा में लग गई, जिससे संघ में सभी इनको संतरा दीदी के नाम से पुकारने लगे तथा इनकी धार्मिक आस्था को देखते हुए आर्यिका विशुद्धमती ने 21 फरवरी को टोंक में क्षुल्लिका दीक्षा देने की स्वीकृति प्रदान की।
दीक्षा कार्यक्रम के तहत प्रतिदिन बिंदौरी निकालने व मेंहदी लगाने, विनतियां गाने का कार्यक्रम जोरों पर चल रहा है। सांस गाव में प्रथम जैनेश्वरी दीक्षा लेने वाली महिला है। दीक्षा कार्यक्रम को लेकर समाज के लोगों में उत्साह बना हुआ है।
यह है जीवन परिचय
दीक्षार्थी संतरा का जन्म 1953 में राजमहल गांव में मदन लाल व मां अचरज देवी कटारिया के हुआ। इनका विवाह सांस निवासी ताराचन्द जैन के साथ हुआ। इनके दो पुत्र व दो पुत्रिया हुई। अपने जीवन काल में परिवार को संभालते हुए धार्मिक कार्यों में संलग्न रही।