किसानों को मूलभुत सुविधाएं भी उपलब्ध नही है। कृषि मण्डी में प्लेटफार्म के अभाव में किसानों को सडक़ों पर माल का ढेर लगाकर दिनभर तेज धूप में तपना पड़ता है।
जहां एक तरफ राज्य सरकार किसानों को लुभाने के लिए कई प्रकार की योजनाएं चला रही है। केन्द्र सरकार किसानों की आमदनी को दोगुना करने का, समर्थन मूल्य पर खरीद की दरें बढ़ाने का, किसानों को पेंशन देने का कार्य कर रही है तथा उपज का उचित दाम दिलाने के लिए किसानों को मण्डी में आने के लिए प्रेरित करने का कार्य किया जा रहा है, वहीं कृषि उपज मण्डी परिसर में अपनी उपज लेकर आने वाले किसानों की सुविधाओं के नाम पर किसी प्रकार की व्यवस्था नहीं है।
जहां एक तरफ राज्य सरकार किसानों को लुभाने के लिए कई प्रकार की योजनाएं चला रही है। केन्द्र सरकार किसानों की आमदनी को दोगुना करने का, समर्थन मूल्य पर खरीद की दरें बढ़ाने का, किसानों को पेंशन देने का कार्य कर रही है तथा उपज का उचित दाम दिलाने के लिए किसानों को मण्डी में आने के लिए प्रेरित करने का कार्य किया जा रहा है, वहीं कृषि उपज मण्डी परिसर में अपनी उपज लेकर आने वाले किसानों की सुविधाओं के नाम पर किसी प्रकार की व्यवस्था नहीं है।
किसानों के लिए सरकार की ओर से चलाई जा रही विभिन्न योजनाओं का लाभ किसानों को नहीं मिल पा रहा है। उनके लिए मण्डी में बैठने व आराम करने के लिए कोई समुचित स्थान तय नहीं है। माल लेकर आने वाले किसानों को दिनभर धूप में प्लेटफार्म एवं सडक़ों पर बैठकर माल बेचना पड़ता है।
लम्बे समय से टीन शेड का प्लेटफार्म क्षतिग्रस्त पड़ा है, जिससे व्यापारियों एवं किसानों को माल को खुले प्लेटफार्म पर ही रखकर उसकी खरीद फरोख्त करनी पड़ती है। मण्डी में किसानों की जिंस की तुलाई के लिए लाखों रुपए की लागत से एक विशाल प्लेटफार्म बना रखा है लेकिन उस पर भी क्रय-विक्रय सहकारी समिति द्वारा समर्थन मूल्य की खरीद का कार्य करने से तथा व्यापारियों का माल पड़ा रहने से उसका लाभ सीधा किसानों को नहीं मिल पाता है।