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#sehatsudharosarkar: video @ काल के गाल में मातृ शक्ति व नवजात

करोड़ों रुपए खर्च करने के बावजूद जननियों की सुरक्षा को लेकर सरकार उदासीन है। जिले के स्वास्थ्य केन्द्र संस्थागत प्रसव में पिछड़ रहे हैं।

टोंकSep 17, 2017 / 01:35 pm

pawan sharma

 मातृ एवं शिशु अस्पताल

टोंक. करोड़ों रुपए खर्च करने के बावजूद जननियों की सुरक्षा को लेकर सरकार उदासीन है। जिले के स्वास्थ्य केन्द्र संस्थागत प्रसव में पिछड़ रहे हैं।

टोंक.

करोड़ों रुपए खर्च करने के बावजूद जननियों की सुरक्षा को लेकर सरकार उदासीन है। जिले के स्वास्थ्य केन्द्र संस्थागत प्रसव में पिछड़ रहे हैं। अधिकांश केन्द्रों में रात के समय प्रसव की सुविधा नहीं है। स्त्री एवं प्रसूती रोग विशेषज्ञों का गांवों में अभाव है। ऐसे में प्रसूताओं को टोंक के लिए रैफर कर पल्ला झाड़ लिया जाता है। शहर में साढ़े 16 करोड़ रुपए की लागत से बनाए गए मातृ एवं शिशु अस्पताल में पलंगों का अभाव है।

प्रसव के बाद जननी व नवजात को बैंच पर लिटाना पड़ रहा है। पलंगों को लेकर आए दिन होने वाली तकरार के बावजूद अस्पताल प्रबन्धन गम्भीर नहीं है। गंदगी व भीड़ के चलते नवजात व प्रसूताएं संक्रमण की जद में है। उल्लेखनीय है कि अस्पताल में 35 से 40 प्रसव प्रतिदिन होते हैं।

इर्द-गिर्द भीड़
जनाना वार्ड में प्रसूताओं के साथ रिश्तेदारों की भारी भीड़ रहने से जननियों व शिशुओं में संक्रमण का अंदेशा बना रहता है। नर्सेज का कहना है कि मिलने आने वालों का तांता ही प्रसूताओं का दर्द बढ़ा रहा है। सुरक्षा गार्डों के अभाव में अस्पताल के सभी वार्ड परिजनों से अटे रहते हैं।
हालांकि सुरक्षा गार्ड लगाने को लेकर एक नवम्बर 2016 से अस्पताल प्रशासन ने भर्ती व परामर्श पर्ची शुल्क में बढ़ोतरी कर दी, लेकिन कुछ दिन बाद ही सुरक्षा गार्ड हटा दिए। पर्चियों की बढ़ाई दरें मरीजों से अभी वसूली जा रही है।

भगवान भरोसे
चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग का कार्य जिले में ठहर सा गया है। आलम है कि 79 महिला स्वास्थ्य कार्यकर्ता (एएनएम) के पद रिक्त हैं। कुल 254 उप स्वास्थ्य केन्द्रों में से चार दर्जन केन्द्रों में एएनएम नहीं है। ऐसे में गांवों की ‘डाक्टर’ एएनएम के अभाव में मरीज नीम-हकीमों के जाल में उलझ रहे हैं। संस्थागत प्रसव, टीकाकरण व अन्य राष्ट्रीय कार्यक्रम बाधित हैं। सरकारी योजनाओं का लाभ भी जच्चा व बच्चा को नहीं मिल पा रहा है।
नाम का आरसीएचओ
चौंकाने वाली बात यह है कि आरसीएचओ कार्यालय में महिलाओं व शिशुओं की मृत्य-दर का लेखा-जोखा तक नहीं है। आरसीएचओ गोपाल जांगिड़ ने बताया कि प्रसव व रैफर का कोई आंकड़ा उनके कार्यालय में नहीं है। उन्होंने बताया कि वे महज टीकाकरण की ही जानकारी बात सकते हैं।

अस्पताल में नर्सेज की कमी है। रात को जननियां व शिशु की सुरक्षा भगवान भरोसे है।
विमला देवी, टोंक

जनाना अस्पतालों की ओर सरकार का ध्यान नहीं है। प्रसूताएं फर्श पर लेटने को विवश हैं।
मुजिबुन्निसा, टोंक
वार्डों में दिनभर पुरुषों का तांता लगा रहता है। पलंगों पर चादर तक नहीं है। सुविधाएं बढ़ाई जानी चाहिए।
सीमा चौधरी, जननी

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