सवारियां नहीं मिलने तथा नुकसान के बावजूद निगम को कई गांवों में बसों का संचालन करना पड़ रहा है। इससे एक ओर जहां कई गांवों के लोगों को आवागमन में परेशानी हो रही है। वहीं दूसरी ओर निगम को घाटा भी हो रहा है।
पहले थी 97, अब है 52
राज्य में कोरोना संक्रमण फैलने से पहले टोंक आगार के पास 97 रूट थे, लेकिन लॉकडाउन के चलते यह सब बंद करने पड़े। फिर धीरे-धीरे निगम ने बसों का संचालन शुरू किया। फिलहाल टोंक आगार के पास 52 रूट है, जिन पर बसों का संचालन किया जा रहा है।
आय से कई गुना खर्च
टोंक आगार को सर्वाधिक नुकसान मालपुरा-टोडारायसिंह रूट पर लग रहा है। जांच की गई तो पता चला कि टोंक से टोडारायसिंह-मालपुरा के लिए बस में महज 12 सवारी ही बैठरी। इनका किराया निगम को करीब एक हजार मिला। जबकि बस करीब 120 किलोमीटर चली और 28 लीटर डीजल की खपत हो गई।
9 लाख थी आय, 6 लाख रह गई
कोरोना से पहले निगम की प्रति दिन की आय करीब 9 लाख रुपए थी, लेकिन अब महज 6 लाख रुपए प्रति दिन रह गई है। हालांकि निगम को कोरोना के दौरान ही 29 नई बसें मिल गई और लॉकडाउन में सभी बसों की मरम्मत हो गई।
सड़क ऐसी की बस पलट जाए
गांवों में सड़कों के हालात खराब है। खासतौर पर पीपलू ब्लॉक में सड़कें ज्यादा जर्जर है। गहलोद से लेकर मालपुरा तथा पीपलू तक कई जगह पर तो सड़कों के नामोनिशान तक मिट गए हैं।
सड़कें जर्जर है
कई गांवों में बसों का रूट इस लिए बंद किया था कि वहां सड़कें जर्जर हो गई है। कई गांवों में तो सवारियां ही नहीं मिलती है। सड़कों की मरम्मत के बाद ही बसों का संचालन हो पाएगा।
– दयाराम यादव, प्रबंधक यातायात रोडवेज टोंक