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कोरोना ही नहीं टूटी सड़कें भी दे रही है घाटा

कोविड-19 में खाली दौड़ रही बसें, घाटे के दौर में निगम कई रूट कर दिए बंदजलालुद्दीन खानटोंक. रोडवेज निगम को कोरोना महामारी के साथ-साथ टूटी सड़कें भी घाटा देर रही है। टूटी सड़कों के चलते निगम ने आधा दर्जन रूट पर बसों का संचालन बंद कर दिया है। वहीं कई रूट तो ऐसे हैं जो राजनेतिक दबाव के चलते घाटे में ही चलाने पड़ रहे हैं। उन रूटों पर निगम को सवारियां ही नहीं है।

टोंकSep 23, 2020 / 09:25 pm

jalaluddin khan

कोरोना ही नहीं टूटी सड़कें भी दे रही है घाटा

कोरोना ही नहीं टूटी सड़कें भी दे रही है घाटा

कोरोना ही नहीं टूटी सड़कें भी दे रही है घाटा
कोविड-19 में खाली दौड़ रही बसें, घाट के दौर में निगम
कई रूट कर दिए बंद
जलालुद्दीन खान
टोंक. रोडवेज निगम को कोरोना महामारी के साथ-साथ टूटी सड़कें भी घाटा देर रही है। टूटी सड़कों के चलते निगम ने आधा दर्जन रूट पर बसों का संचालन बंद कर दिया है। वहीं कई रूट तो ऐसे हैं जो राजनेतिक दबाव के चलते घाटे में ही चलाने पड़ रहे हैं। उन रूटों पर निगम को सवारियां ही नहीं है।

सवारियां नहीं मिलने तथा नुकसान के बावजूद निगम को कई गांवों में बसों का संचालन करना पड़ रहा है। इससे एक ओर जहां कई गांवों के लोगों को आवागमन में परेशानी हो रही है। वहीं दूसरी ओर निगम को घाटा भी हो रहा है।
रोडवेज के टोंक आगार के पास करीब 88 बसें हैं जो नियमित चलती थी, लेकिन गत 23 मार्च से लगे लॉकडाउन के चलते निगम की बसें बंद हो गई। करीब दो महीनेभर बाद कुछ बसों का संचालन शुरू किया गया।

पहले थी 97, अब है 52
राज्य में कोरोना संक्रमण फैलने से पहले टोंक आगार के पास 97 रूट थे, लेकिन लॉकडाउन के चलते यह सब बंद करने पड़े। फिर धीरे-धीरे निगम ने बसों का संचालन शुरू किया। फिलहाल टोंक आगार के पास 52 रूट है, जिन पर बसों का संचालन किया जा रहा है।
निगम अब 10 रूट और बढ़ाने की तैयारी कर रहा है। इसमें लाम्बाहरिहसिंह वाया टोडारायसिंह, अजमेर-टोंक, फरीदाबाद-टोंक, नैनवां, जोधपुरिया, टोडारायसिंह, हमीरपुर, अलवर का प्रस्ताव मांगा है। इसे मंजूरी मिली तो इन रूट पर बसें फिर से दौड़ेगी।

आय से कई गुना खर्च
टोंक आगार को सर्वाधिक नुकसान मालपुरा-टोडारायसिंह रूट पर लग रहा है। जांच की गई तो पता चला कि टोंक से टोडारायसिंह-मालपुरा के लिए बस में महज 12 सवारी ही बैठरी। इनका किराया निगम को करीब एक हजार मिला। जबकि बस करीब 120 किलोमीटर चली और 28 लीटर डीजल की खपत हो गई।
इसमें करीब दो हजार रुपए का तो डीजल ही हो गया। फिर बस का मेंटीनेंस और चालक-परिचालक की तनख्वाह अलग है। निगम को प्रति किलोमीटर 35 रुपए मिलने चाहिए, जबकि इस रूट पर महज 12 रुपए प्रति किलोमीटर ही मिल रहे हैं। चौंकाने वाली बात यह है कि निगम को मालपुरा-तिलांजु रूट पर 300 किलोमीटर के चार चक्कर में महज 500 रुपए ही मिल पाए हैं।
कोविड-19 के चलते सवारियां नहीं मिलती। ऐसे में बसें खाली ही दौड़ रही है। वहीं जनप्रतिनिधियों का दबाव रहता है कि बसों का संचालन गांवों में किया जाए, लेकिन सवारियां नहीं मिलने से नुकसान हो रहा है।

9 लाख थी आय, 6 लाख रह गई
कोरोना से पहले निगम की प्रति दिन की आय करीब 9 लाख रुपए थी, लेकिन अब महज 6 लाख रुपए प्रति दिन रह गई है। हालांकि निगम को कोरोना के दौरान ही 29 नई बसें मिल गई और लॉकडाउन में सभी बसों की मरम्मत हो गई।

सड़क ऐसी की बस पलट जाए
गांवों में सड़कों के हालात खराब है। खासतौर पर पीपलू ब्लॉक में सड़कें ज्यादा जर्जर है। गहलोद से लेकर मालपुरा तथा पीपलू तक कई जगह पर तो सड़कों के नामोनिशान तक मिट गए हैं।
निगम पहले टोंक, सोहेला, पीपलू वाया फागी-जयपुर के लिए तीन बसों का संचालन करती थी। वहीं जयपुर-टोडा वाया कड़ीला, धोली भी बसें चलाती थी, लेकिन सड़कें जर्जर होने पर इन रूट को बंद करना पड़ा।
इसके अलावा भी कई गांवों में बसों का संचालन सड़कों के चलते बंद करना पड़ा है। इन सड़कों पर बसों का संचालन करने पर प्रति दिन कबानी टूट रही थी। ऐसे में मजबूरन बंद करना पड़ा।

सड़कें जर्जर है
कई गांवों में बसों का रूट इस लिए बंद किया था कि वहां सड़कें जर्जर हो गई है। कई गांवों में तो सवारियां ही नहीं मिलती है। सड़कों की मरम्मत के बाद ही बसों का संचालन हो पाएगा।
– दयाराम यादव, प्रबंधक यातायात रोडवेज टोंक
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