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नाम के पार्क, बैठने व घूमने लायक एक भी नहीं

कहने को तो हाउसिंग बोर्ड शहर की वीआईपी कॉलोनियों में शामिल है, लेकिन यहां पर स्थित पार्कों की देखरेख के अभाव बदहाल हो रही हैै। कॉलोनी में करीब आधा दर्जन पार्क बनाए गए है, लेकिन इनमें हरियाली के नाम पर मात्र सूखी घास है।

टोंकApr 10, 2021 / 07:57 am

pawan sharma

नाम के पार्क, बैठने व घूमने लायक एक भी नहीं

नाम के पार्क, बैठने व घूमने लायक एक भी नहीं

टोंक. कहने को तो हाउसिंग बोर्ड शहर की वीआईपी कॉलोनियों में शामिल है, लेकिन यहां पर स्थित पार्कों की देखरेख के अभाव बदहाल हो रही हैै। कॉलोनी में करीब आधा दर्जन पार्क बनाए गए है, लेकिन इनमें हरियाली के नाम पर मात्र सूखी घास है। हाउसिंग बोर्ड ने शुरुआत में सडक़ें, सीवरेज व घूमने के लिये पार्क जैसे सपने दिखाए थे, लेकिन इन पार्कों को विकसित करने की आज तक कोई कार्रवाई अमल में नहीं लाई गई है। नतीजन यह पार्क आवारा पशु व समाजकंटकों की शरण स्थली बने हुए है। ऐसे हालातों में कॉलोनी वासियों को न तो स्वच्छ हवा मिल रही न ही हरियाली दिखाई दे रही है।
यह बोले क्षेत्र के लोग

हाउसिंग बोर्ड में मॉर्निंग वाक की कोई व्यवस्था नहीं है। पार्क की जमीन तो आवंटित की गई है, लेकिन उसकों विकसित नहीं किया गया। पार्क समाजकंटकों की शरणस्थली बने हुए है, जिनके पास ही मांस व मंदिरा की दुकान होने से कॉलोनीवासी परेशान है।सुभाष सोनी, हाउसिंग बोर्ड
हाउसिंग बोर्ड कॉलोनी में सीवर लाइनों पर किए अतिक्रमण भी बड़ी समस्या है। कॉलोनी की गलियों में समाजकंटकोंं का बोलबाला है। अनावश्यक बाइक सवारों की तेज गति से आवाजाही से शोर-शराबा रहता है। हाउसिंग बोर्ड कालोनी में कई भूखंड खाली पड़ेे हुए है, जिनमें लोग कचरा डाल रहे है। – विमला आजाद, हाउसिंग बोर्ड
हाउसिंग बोर्ड वीआईपी कॉलोनी है, लेकिन सुविधाएं नहीं है। यहां पर देखरेख के अभाव में पार्क बदहाल हालात में है। पार्कों की चारदीवारी टूटी होने के कारण पशु व सूअर विचरण करते है। पार्कों में लोगों के मनोरजंन व घूमने के लिए न तो हरियाली है न ही स्वच्छता। हरिनारायण मित्तल
घूमने के लिए न तो हाउसिंग बोर्ड कॉलोनी में कोई पार्क है न ही ऐसी कोई जगह, जहां शाम को परिवार सहित कुछ घंटे बैठ करके स्वच्छ हवा ली जा सके। वैसे तो कॉलोनी में पार्क बने हुए है, लेकिन विकसित एक भी नहीं है। नीलम वैष्णव, हाउसिंग बोर्ड

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