हादसे के बाद क्वार्टर में रहने वाले जवानों के परिवार सहम गए। वे सभी मौके पर जमा हुए, लेकिन महज अफसोस के अलावा कुछ नहीं कर सके। मंगलवार सुबह उक्त परिवार ने ये क्वार्टर खाली कर दिया।
चौंकाने वाली बात ये है कि ये क्वार्टर काफी साल पुराने नहीं है। सार्वजनिक निर्माण विभाग ने वर्ष 2008 में ही यहां 270 क्वार्टर का निर्माण कराया था। अभी इनके निर्माण को महज 11 साल ही हुए हैं कि ये गिर रहे हैं।
अमूमन निर्माण के बाद एक भवन के जर्जर होने की मियाद करीब 100 साल होती है, लेकिन सार्वजनिक निर्माण विभाग की ओर से आरएसी क्वार्टर में कराया गया निर्माण तो महज 11 साल में ही गिरने के कगार पर है। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि इस सरकारी काम में किस प्रकार लापरवाही बरती जाती है। लगातार गिरते चूने तथा छज्जों से सहज अंदाजा लगाया जा सकता है कि सार्वजनिक निर्माण विभाग ने इस निर्माण में पूर्णरूप से घटिया निर्माण सामग्री का उपयोग किया है।
11 सालों में ही बिगड़ी हालत अभी निर्माण को महज 11 साल ही हुए हैं कि सी विंग के 24 क्वार्टर को अघोषित रूप से जर्जर बता दिया गया। यहां रहने वाले जवानों के 24 परिवारों से ये क्वार्टर खाली करा दिए गए। अब ये परिवार अन्य क्वार्टर में रह रहे हैं। इसी के समीप की विंग की हालत भी कुछ ऐसी ही है। ये भी कभी भी खाली कराई जा सकती है। हालांकि लिखित रूप से इन्हें जर्जर साबित नहीं किया, लेकिन अधिकारियों ने इनके गिरते चूने तथा प्लास्टर के चलते खाली करने को कह दिया।
जवानों के परिवारजनों का कहना है कि बरसात के मौसम में छत से पानी टपकता है। कई विंग तो ऐसी है जिनकी जानकारी चौंकाने वाली वाली है। तीन मंजिला विंग की बीच की छत से पानी टपकता है। जबकि पहली व नीचली विंग सही है। इसका कारण है कि निर्माण के दौरान इनकी छत सही प्रकार से नहीं बनाई गई। इसके चलते पानी टपकता है।
मकान के छज्जे हिल रहे, गिर रहा प्लास्टर लोगों का कहना है कि बार-बार गिरते प्लास्टर को मरम्मत कराने में अब परेशानी होने लगी है। कई बार मरम्मत करा चुके, लेकिन पूरा भवन ही प्लास्टर छोड़ रहा है। छज्जे हिलते हैं। ऐसे में उस पर जाने से भी डर लगता है। कई छज्जे तो अभी से ही झूल गए हैं। उनमें दरारे आ गई है।