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rajasthankaran : जहां मिले अधिक मत वहां सिर्फ विकास के नाम पर महज आश्वासन

locationटोंकPublished: Sep 21, 2018 08:36:07 am

Submitted by:

pawan sharma

पत्रिका टीम पहुंची उन बूथों पर जहां 2013 के विधानसभा चुनाव में भाजपा व कांग्रेस प्रत्याशी सबसे ज्यादा वोट लेकर आए थे। बूथ के तहत आने वाले मतदाताओं से विकास के मुद्दे पर बात की तो सामने आया कि समस्याएं अब भी वही की वही हैं। पढ़े एक रिपोर्ट-

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सडक़ें इतनी जर्जर है कि वाहन तो दूर पैदल भी नहीं चल सकते। आम रास्तों पर लोगों ने अतिक्रमण कर लिए। बैरवा व जाटों के मोहल्ले में कीचड़ भरा रहता है।

विधानसभा क्षेत्र- टोंक

-बूथ नम्बर-71
-मतदान केन्द्र: रा.प्रा.विद्यालय सांखना
-कुल वोट- 860 -भाजपा को मिले 601 मत, 2013 में मतदान

-कीचड़ से अटी हुई गलियां
विधानसभा चुनाव 2013 में गांवों को चमन कराने के बड़े वादे करने वाले भरपूर विकास कराना भूल गए। ऐसा ही एक मतदान केन्द्र है टोंक विधानसभा क्षेत्र का सांखना स्थित 71 नम्बर का। ये मतदान केन्द्र राजकीय प्राथमिक विद्यालय में है। इसमें भाजपा को वर्ष 2013 के विधानसभा चुनाव में सर्वाधिक 601 मत मिले थे।
गांव में ना तो सडक़ों का निर्माण हुआ और ना ही नालियों का निर्माण कराया गया। ऐसे में हालात वैसे ही हैं, जैसे गत चुनाव से पहले थे। गांव की मुख्य सडक़ें गड्ढों से अटी हुई है। पानी का निकास नहीं होने से गलियां कीचड़ में बदल गई है। ऐसा भी नहीं है कि समस्या से उन्हें अवगत नहीं कराया गया है, लेकिन अनदेखी का आलम है कि लोग विकास की बाट जोह रहे हैं।
बूथ नम्बर- 61
मतदान केन्द्र: राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय, अलीपुरा
कुल वोट 985 – कांग्रेस को मिले 407 मत, 2013 में मतदान

पलट कर नहीं लौटे जनप्रतिनिधि

व र्ष 2013 के विधानसभा चुनाव में टोंक विधानसभा क्षेत्र के अलीपुरा गांव के मतदाताओं ने कांग्रेस प्रत्याशी सर्वाधिक मत दिए थे, लेकिन मत लेने के बाद वे भी पलट कर नहीं आए कि जिन्होंने मत दिए थे, उनके क्या हाल है। ऐसे में अलीपुरा गांव के लोग समस्याओं के बीच जीवन यापन कर रहे हैं।
वहीं जीते हुए जनप्रतिनिधि आते तो हैं और बड़ी बातें भी करते हैं, लेकिन विकास के नाम पर महज आश्वासन देकर चले जाते हैं। सडक़ें इतनी जर्जर है कि वाहन तो दूर पैदल भी नहीं चल सकते। आम रास्तों पर लोगों ने अतिक्रमण कर लिए। बैरवा व जाटों के मोहल्ले में कीचड़ भरा रहता है।
यहां नालियों का निर्माण अब तक नहीं हुआ। ऐसे में घरों से निकलने वाला पानी कच्ची सडक़ पर जमा होकर कीचड़ में बदल गया है। इसके अलावा पेयजल तथा बिजली की स्थिति और भी खराब है। बिजली कटौती का समय तय नहीं है।
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