scriptvideo: वैल्डिंग के सहारे रोडवेज, निगम नहीं भेज रहा है डिपो को सामान | Roadways bus using Welding in the absence of luggage | Patrika News
टोंक

video: वैल्डिंग के सहारे रोडवेज, निगम नहीं भेज रहा है डिपो को सामान

निगम के पास पहले 98 बसें थी। इनमें से कुछ दिन पहले 10 बसें कंडम हो गई। वहीं 8 बसें सामान के अभाव में ऑफ रूट होकर आगार में खड़ी हो गई।

टोंकMay 08, 2019 / 09:26 am

pawan sharma

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टोंक. राजस्थान राज्य पथ परिवहन निगम की बसों के भरोसे सफर कर रहे यात्रियों की हालत खराब है। वे इन बसों में सफर तो कर रहे हैं, लेकिन बसें बीच रास्तें में कब रुक जाए। इसका अंदाजा नहीं लगाया जा सकता।
इसका कारण है कि रोडवेज बसें सामान के अभाव में जोड़-तोड़ (वैल्डिंग) के सहारे चल रही है। चौंकाने वाली बात ये है कि निगम के टोंक डिपो के पास अभी 88 बसें तो है, लेकिन ये सब धीरे-धीरे कंडम होती जा रही है।
जबकि निगम ने वर्ष 2012 से अब तक एक भी नई बस उपलब्ध नहीं कराई है। वहीं खराब होने वाली बसों की मरम्मत के लिए सामान भी उपलब्ध नहीं कराया जा रहा है।

ऐसे में ये बसें बीच रास्ते में रुकने को मजबूर है। टोंक आगार ने प्रदेश समेत जिलेभर के रूट के लिए 94 शेडयूल बना रखे हैं। इनसे पूरा जिला कवर हो जाता है, लेकिन लगातार कम हो रही बसों के चलते धीरे-धीरे कुछ गांव व कस्बों में बसों के फेरों की संख्या कम होती जा रही है।
मसलन मालपुरा में जहां पहले बसों का फेरा 12 था वो अब 10 रह गया है। ऐसे में बसों की कमी के चलते यात्रियों को गन्तव्य तक पहुंचने के लिए निजी वाहनों का सहारा लेना पड़ रहा है। इन बसों में बैठ भी जाए तो पूरा यकीन नहीं है कि ये बसें सफर पूरा कर पाएगी।

निगम के पास पहले 98 बसें थी। इनमें से कुछ दिन पहले 10 बसें कंडम हो गई। वहीं 8 बसें सामान के अभाव में ऑफ रूट होकर आगार में खड़ी हो गई। ऐसे में निगम 80 बसों के भरोसे काम चला रहा है।
वहीं इनकी मरम्मत करने के लिए टोंक आगार के पास ना तो कर्मचारी है और ना ही सामान है। लगातार सामान की मांग की जा रही है, लेकिन केन्द्रीय वर्कशॉप की ओर से सामान उपलब्ध नहीं कराया जा रहा है।

10 शेडयूल घट गए
टोंक आगार ने बसों के फेरों के लिए 94 शेडयूल तय कर रखे हैं, लेकिन अभी बसों की कमी होने के चलते उन्हें 84 शेडयूल से ही काम चलाना पड़ रहा है।

सफर कैसे हो पूरा
जिले के कई गांव व कस्बे तो ऐसे हैं जो रोडवेज बसों के सहारे ही है। ऐसे में बसों की कमी मुसाफिरों को परेशान कर रही है। वहीं कईगांवों में बसों का रूट कम होने से लोगों को वहीं रुकना पड़ता है।
निगम में बसों की कमी के चलते बीसलपुर बांध क्षेत्र के नासिरदा, हिसामपुर समेत दर्जनों गांवों में निजी वाहनों के सहारे लोगों को सफर करना पड़ता है।

वहीं मालपुरा व टोडारायसिंह जिले के ऐसे कस्बे हैं जहां शाम 6 बजे बाद बसों के रूट नहीं है। ऐसे में यहां पहुंचने वाले मुसाफिर को दूसरे दिन का इंतजार करना पड़ता है।
ऐसे ही हालात पीपलू समेत दर्जनों गांवों व कस्बों के हैं। जहां बसों की संख्या इतनी कम है कि निजी वाहनों के सहारे काम चलाना पड़ रहा है।


मजबूरी में काम चला रहे हैं
टोंक आगार में सामान की काफी कमी है। ऐसे में जोड़-तोडकऱ काम चला रहे हैं।सामान के लिए कई बार पत्र भी लिखा है, लेकिन सामान नहीं मिल रहा है। ऐसे में लगातार शेडयूल घटते जा रहे हैं।
– जितेन्द्र प्रजापत, कार्यवाहक प्रबंधक संचालक, आगार टोंक

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