scriptस्कूल का मुंह तक नहीं देखा टोंक की सईदा ने , अब बच्चों को दे रही नि:शुल्क तालीम, मिल चुका है प्रथम अक्षर मित्र का गौरव | Saida Suman is giving free training to children in Tonk | Patrika News

स्कूल का मुंह तक नहीं देखा टोंक की सईदा ने , अब बच्चों को दे रही नि:शुल्क तालीम, मिल चुका है प्रथम अक्षर मित्र का गौरव

locationटोंकPublished: Sep 05, 2019 10:19:26 am

Submitted by:

pawan sharma

Teacher’s day: धार्मिक रूढि़वादिता के चलते खुद ने कभी स्कूल का मुंह नहीं देखा, लेकिन वह बच्चों को पढ़ा रही है। ये सब स्वयं को नहीं पढऩे पर हुई गलानी से हुआ।

स्कूल का मुंह तक नहीं देखा टोंक की सईदा ने , अब बच्चों को दे रही नि:शुल्क तालीम, मिल चुका है प्रथम अक्षर मित्र का गौरव

स्कूल का मुंह तक नहीं देखा टोंक की सईदा ने , अब बच्चों को दे रही नि:शुल्क तालीम, मिल चुका है प्रथम अक्षर मित्र का गौरव

टोंक. धार्मिक रूढि़वादिता के चलते खुद ने कभी स्कूल का मुंह नहीं देखा, लेकिन वह बच्चों को पढ़ा रही है। ये सब स्वयं को नहीं पढऩे पर हुई गलानी से हुआ। ये शिक्षक है बहीर निवासी सईदा अमीर। औपचारिक स्कूली शिक्षा से वंचित सईदा अमीर का शिक्षा के प्रति आकर्षण वैवाहिक बंधन में बंध जाने के बाद हुआ।
read more: Teacher’s Day: एक शिक्षक की विदाई पर फूट-फूटकर रोया पूरा गांव, वजह जानकार आपकी आंखें भी हो जाएंगी नम

शिक्षा प्राप्त नहीं कर पाने का मलाल सईदा के मन में ऐसी जोत जगा बैठा कि उन्होंने 37 साल की उम्र में पीढिय़ों से निरक्षरता का अभिशाप भोग रहे कलंदर और मदारी जाति के परिवारों के बच्चों को पढ़ाने का बीड़ा उठा लिया। सईदा ने संकल्प तो कर लिया, लेकिन घरेलू काम करने वाली मासूम लड़कियों व बचपन से ही कमाई करने वाले बच्चों को शिक्षा की नाव में बैठाना आसान नहीं था।
read more:Teacher’s Day: कलयुग में भी हैं एकलव्य जैसे शिष्य, अपने गुरु को 22 साल से दे रहे गुरु दक्षिणा

सईदा ने इसके लिए खेल को माध्यम बनाया और लड़कियों को सितोलिया खेलने के बहाने अपने घर बुलाने लगी, लेकिन एक नई समस्या ने जन्म ले लिया। हिंदी अक्षरों से सईदा का साक्षात्कार ही नहीं हुआ तो वह लड़कियों को क्या पढ़ाती?

इस असफलता की सीढ़ी पर खड़ी सईदा ने राह के रोडे का जिक्र अपने शिक्षाविद् पति अमीर अहमद सुमन से किया। ऐसे में पति अमीर अहमद ने सईदा को पढ़ाने का जिम्मा ले लिया। बस फिर क्या था, रात में सईदा पति से अक्षर ज्ञान लेती और सुबह उसे अपने आंगन में खेलने आईं बालिकाओं के दामन में परोस देती।
read more:बीसलपुर बांध परियोजना पर अभियंताओं की मनमानी, रिश्तेदारों के निकल रहे बांध से वाहन


किनारे पर आई गई किश्ती
तमाम मुश्किलों व दिक्कतों की नदी में हिचकोले खाती शिक्षा की किश्ती अब किनारा पा चुकी है। सईदा के स्कूल में सौ से अधिक लडक़े-लड़कियां पांचवीं तक शिक्षा प्राप्त करते हैं। रिटायर होने के बाद उनके पति भी सईदा के स्कूल में पढ़ाते हैं। सईदा स्वयं भी अब हिंदी अच्छी तरह लिख-पढ़ लेती हैं। वर्ष1992 में शुरू हुआ उनका स्कूल अब क्षेत्र के मुख्य स्कूलों में शुमार है। वर्ष2006 से उसे बाल श्रमिक विद्यालय का दर्जा भी मिल गया है।

सईदा हो चुकी है सम्मानित
5 सितम्बर 1998 को राज्यपाल की ओर से राज्य स्तरीय अक्षर मित्र पुरस्कार से सम्मानित सईदा बाजी को जिले की प्रथम अक्षर मित्र होने का गौरव मिला। इसके बाद 15 अगस्त 1998 को जिला स्तर पर सम्मानित किया गया। इसके अलावा अन्य सम्मान से भी सईदा को नवाजा गया।
Tonk News in Hindi, Tonk Hindi News

loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो