सोना का जन्म सांखना ग्राम पंचायत के राजनगर गांव में 2 अप्रेल 1993 में हुआ। चार वर्ष की उम्र में चार बहनों के साथ उसका बाल विवाह कर दिया गया। इनमें से सोना एवं बड़ी बहन राजन्ती का विवाह एक ही परिवार में किया गया।
किसी से भी बोलने पर धमकी
आर्थिक तंगी कॉलेज में प्रवेश के लिए बाधा बनी तो सोना ने घर पर सिलाई एवं बच्चों को पढ़ाने का काम शुरू किया। वहीं कॉलेज जाने पर पति ने रास्ते में रोक कर और मोबाइल एवं पर्स छीन कर देख लेनेे जैसी हरकतें शुरू कर दी। वहीं किसी से बोलते हुए देख लेने पर धमकाना आम बात हो गई।
जमीन गिरवी रखनी पड़ी
बीए करने के बाद बीएड कॉलेज में दाखिला लेने के लिए रुपयों की आवश्यकता आ पड़ी। सोना के पिता ने आर्थिक तंगी के चलते उसके ससुर से फीस जमा करवाने को कहा। इस पर ससुराल पक्ष ने पढ़ाई छोड़ कर खेती में सहयोग को कहा, लेकिन सोना के मजबूत इरादे देख जमीन गिरवी रख फीस जमा करवाई।
पढ़ाई का बहाना कर ले गए
सोना की लगन देख ससुराल पक्ष के लोग उसे पढ़ाने एवं प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी का आश्वासन देकर जून 2016 को ले गए। इस दौरान उन्होंने पति के साथ उसे तीन माह तक टोंक रखा। एक माह कोचिंग सेंटर ढूंढने में लगा दिया एवं एक माह कोचिंग में बिना फीस दिए ही भेजते रहे। इस दौरान आर्थिक का बहाना बना कर उससे आभूषण भी ले लिए। सोना के बीमार पडऩे पर उसे वापस पिता के घर छोड़ दिया। इसके बाद जून 2017 में उनका तलाक हो गया।
लगन को मिली पहचान
सोना ने हिम्मत नहीं हारी और परिवार का खर्च चलाने एवं तीन छोटी बहिनों को पढ़ाने के लिए उसने लाडो प्रोजेक्ट से जुड़ गई। अभी टोंक की 11 ग्राम पंचायतों में बालिका शिक्षा में सम्बल का कार्य कर रहे है।