इसके लिए सरकार की गाइड लाइन की पालना तय की गई। गांव के बच्चों को बुलाया और उन्हें पहले गाइड लाइन के बारे में बताया गया। इसके बाद सभी बच्चे धीरे-धीरे आने लगे। इसके बाद अंजली ने उन्हें पढ़ाकर फिर से शिक्षा से जोड़ दिया है। अब उसकी सुबह बच्चों को पढ़ाने की आदत हो गई है।
हालांकि अंजली स्वयं भी कनोडिया महिला महाविद्यालय जयपुर में एमएससी की छात्रा है। महाविद्यालय बंद होने से वह गत वर्ष ही गांव आ गई थी। गत वर्ष स्कूल बंद होने से विद्यार्थियों की हालत देखते हुए उसने उन्हें पढ़ाने का जिम्मा लिया। साथ ही शिक्षित होने पर ग्रामीणों को कोरोना महामारी के बारे में भी बताया।
साथ ही इससे बचने के तरीके भी बताए। उसके पिता बद्री पटेल व मधू शर्मा के बीमार होने पर उसने पुत्र का फर्ज भी निभाया और कृषि समेत पशु पालन का कार्य स्वयं ने किया।
बताया कैसे करना है कोरोना से बचाव
कोरोना महामारी के चलते महाविद्यालय बंद होने के बाद अंजली गांव आ गई। गांव में लोग उस समय कोरोना को लेकर अंजान थे। ऐसे में अंजली ने उन्हें कोरोना महामारी के बारे में बताया। शुरुआत में लोग मास्क भी नहीं लगाते थे। अंजली ने उन्हें समझाकर और गाइड लाइन के बारे में बताकर महामारी से बचाव के कई तरीके बताए। ताकि लोग स्वस्थ रहे।