रात्रि को आयोजित भजन संध्या का शुभारम्भ इंदौर से आए लवेश बुरड ने दादा गुरुदेव की वंदना से करते हुए दुनियां चलती पैरों पर, मैं तेरे भरोसे चलता हूं..,हमें गरीब नहीं समझो गरीब वे है जो दादा के करीब नहीं है..,लाखों भक्त है तेरे दादा इक ओर बढाले मुझे अपना बना ले, हर जन्म में तेरा साथ चाहिए सिर मेरे दादा तेरा हाथ चाहिए, दादा गुरुदेव तेरे चरणों में.., छाए काली घटाएं कितनी तो क्या तेरी छतरी के नीचे हूं मैं, मालपुरा वाले दादा गुरुवर आया हूं तेरे दर पर, बाबा तेरे दर पर आया तो जीवन ही बदल गया, दादा का करिश्मा देखकर हैरत में पड़ गया की प्रस्तुति देकर दर्शकों को झूमने पर मजबूर कर दिया।
वहीं कोलकाता के विजय सोनी ने शंख बजे शहनाई रे मैया ओ वरदायिनी, आ लोटकर आजा मेरे दादा तुजे तेरे दास बुलाते है,, मुझको बिन मांगे क्यों मिल जाता है औकात से ज्यादा यह तो दादा जाने.., तन मन से करते है हम करते है गुनगान, मेरे सर पर रख दो दादा अपने ये दोनों हाथ’ दादागुरू के मंदिर में ढोल चंग बाजे, दादा ने दरबार लगाया है आजा नचले’ पर प्रस्तुत कर श्रद्धालुओं को भाव विभोर कर दिया।
वहीं कार्यक्रम में राजस्थान उच्च न्यायालय के न्यायाधिपति अरुण भंसाली, पालिकाध्यक्ष आशा नामा एवं मेला आयोजक परिवार के चचंलराज, सजंय कुमार भंसाली सहित परिवारजनों का श्री जैन श्वेताम्बर खरतरगच्छ संघ के अध्यक्ष प्रकाश चन्द लोढा, महेश महमवाल,अनिल श्रीमाल ने बहुमान किया। वही समारोह में छतीसगढ, दिल्ली, मुम्बई, अहमदाबाद, जयपुर, केकडी, अजमेर, विजयनगर, भीलवाड़ा, टोंक सहित कई स्थानों के श्रद्धालुओं ने भाग लिया।