अधिकतर केंद्रों पर एएनएम का पद रिक्त हैं तो कहीं भवन जर्जर अवस्था में हैं। इन हालातों का फायदा उठाकर गांवों में दुकानें खोलकर बैठे नीमहकीम उठा रहे हैं। चिकित्सा विभाग द्वारा कार्यवाही नहीं होने से इनके हौंसले बुलन्द हैं, जिसके चलते ग्रामीणों के स्वास्थ्य से खिलवाड़ हो रहा हैं।
संदेड़ा उपस्वास्थ्य केंद्र पर 5 वर्षों से लटका हैं ताला : उपखंड क्षेत्र के संदेडा गांव का राजकीय उपस्वास्थ्य केंद्र पिछले 5 वर्षों से बंद पड़ा है, जिसकी वजह से क्षेत्रीय ग्रामीणों को चिकित्सा स्वास्थ्य सेवाओं से वंचित होना पड़ रहा है। ग्राम के पुरुषोत्तम शर्मा ने बताया कि गांव संदेडा की आबादी 4000 करीब है तथा आसपास के कई गांव के लोगों का यहां आना जाना होता है।
इन लोगों को बेहतर चिकित्सा सेवाएं उपलब्ध हो को लेकर सरकार ने यहां उप स्वास्थ्य केंद्र खोल रखा है। जहां कार्यरत चिकित्सा कर्मी का तबादला हुए 5 वर्ष से अधिक का समय हो गया, लेकिन बार-बार ग्रामीणों द्वारा चिकित्सा कर्मी का पद भरे जाने को लेकर मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी टोंक कार्यालय को कई बार अवगत कराया गया, लेकिन अनदेखी के चलते इस केंद्र पर किसी को भी नहीं लगाया गया।
जिसके चलते उप स्वास्थ्य केंद्र बंद पड़ा हुआ है तथा भवन में रखी हुई दवाई भी खराब हो रही है। ग्रामीणों को इस समस्या के चलते 7 किलोमीटर दूर पीपलू के राजकीय चिकित्सालय में उपचार कराने जाने से समय धन की बर्बादी से परेशान होना पड़ रहा है। ग्रामीणों ने जनहित में यहां के उप स्वास्थ्य केंद्र पर तत्काल चिकित्सा कर्मी लगाए जाने की मांग की है।