विभागीय लापरवाही के चलते सात माह से सीतापुरा के आयुर्वेदिक औषधालय पर ताले लटके हुए है तो ग्रामीणों को आयुर्वेदिक पद्धति से होने वाले उपचार को भी तरसना पड़ रहा है। लॉकडाउन की शुरुआत में जिला आयुर्वेद विभाग ने सीतापुरा पंचायत मुख्यालय स्थित राजकीय आयुर्वेदिक औषधालय के चिकित्सक मनीषकुमार वर्मा को मार्च माह में कार्यव्यवस्था को लेकर जिला मुख्यालय लगा दिया।
वहीं जिले के आयुर्वेदिक विभाग ने इसकी भनक पंचायत प्रशासन सहित ग्रामीणों को नहीं लगने दी। इस दौरान आयुर्वेद पद्धति से उपचार कराने वाले आधा दर्जन गांवों के सैकड़ों लोग कई माह से औषधालय के चक्कर लगा मुख्य द्वार पर लटके ताले को देख बिना उपचार कराए घर लौट जाते। समाजसेवी हरिराम मीणा, वार्डपंच फोरूलाल माली ने बताया कि आयुर्वेदिक औषधालय पर हमेशा ताला लटका रहने से चल रही महामारी में लोगों को आयुर्वेदिक काढ़ा सहित उपचार नहीं मिल पाया। इससे क्षेत्र के लोगों को तहसील एवं उपखण्ड मुख्यालय स्थित आयुर्वेदिक दवा की दुकानों से महंगे दामोंं पर सामान लाकर काढ़ा बनाकर पीना पड़ा।
क्षेत्र के दस चिकित्सकों लगाया था मार्च में लॉकडाउन के समय जिला कलक्टर के निर्देश पर शहरवासियों को काढ़ा वितरण सहित अन्य व्यवस्थाओं को लेकर राजकीय आयुर्वेदिक औषधालय सीतापुरा सहित क्षेत्र के दस आयुर्वेद चिकित्सक को 20 मार्च को टोंक जिला मुख्यालय पर कार्य व्यवस्था के लिए लगाया गया था। इसके बाद 22 अगस्त को सभी आयुर्वेद चिकित्सकों को अपने-अपने औषधालय के लिए रिलीव कर दिया है। चिकित्सालय नहींं खोलना लापरवाही है। जांच कर कार्रवाई करेंगे।
प्यारेलाल मीणा, सहायक निदेशक जिला आयुर्वेदक विभाग, टोंक