ग्रामीण विनोद माहुर, रामदेव, दुर्गालाल धाकड़ आदि ने बताया कि एक महीने पहले सांसद कोष से गांव से पथवारी माता तक पांच लाख रुपए की लागत से सीसी सडक़ बनाई गई। इसकी लम्बाई करीब पांच सौ मीटर है। सडक़ बनने के बाद ग्रामीणों की आवाजाही सुलभ हुई।
ग्रामीणों को कीचड़ व गहरे गड्ढों से राहत मिली, लेकिन पिछले दिनों ही वहीं के कुछ लोगों ने सडक़ के बीच रास्ते में जाली लगाकर रास्ता रोक दिया। ऐसे में ग्रामीणों को खेतों में जाने में परेशानी हो रही है।
अतिक्रमियों को जाली हटाने के लिए कहा गया, लेकिन उन्होंने ग्रामीणों की शिकायत को अनसुना कर दिया। ग्रामीणों ने पंचायत प्रशासन से आम रास्ते का अतिक्रमण हटाकर राहत दिलाने की पंचायत प्रशासन से मांग की।
फाइलों में दब गया पुल का प्रस्ताव
राजमहल. बीसलपुर बांध भरने के बाद बनास नदी में छोड़े जाने वाला पानी दर्जनों गांवों के लोगों का आवागम बंद कर देता है। हालांकि नदी पर पुल बनाने का प्रस्ताव बांध निर्माण के साथ ही शामिल था, लेकिन अधिकारियों ने इसे फाइलों में दबा दिया है।
ऐसे में बांध पूर्ण भराव के बाद गेट से बनास नदी में छोड़े जाने वाले पानी के चलते देवली व टोडारायसिंह तहसील के दर्जन गांव व ढाणियों के लोगों की आवाजाही बंद हो जाती है। सूत्रों के अनुसार बीसलपुर बांध बनने के दौरान ही सरकार की ओर से नदी पार के लिए पुलिया निर्माण का प्रस्ताव था।
वहीं बांध के करीब ही पुलिया निर्माण भी करवाया गया, लेकिन इस पुलिया से वीआईपी ही प्रवेश करते हैं। लोगों नाव में जान जोखिम में डालकर गुजरना पड़ता है। बांध से बनास में पानी की निकासी के दौरान बीसलपुर व राजमहल बनास नदी में दुपहिया वाहन चालकों सहित एक साथ दर्जनों यात्रियों को नदी पार करनी पड़ती है।
जहां नाव में सवार यात्रियों के पास लाइफ जाकेट तक नहीं होती है। इसी प्रकार बीसलपुर वन क्षेत्र में दर्जनभर बरसाती नालों से वाहनों को गुजरना पड़ता है। जहां कभी भी हादसा हो सकता है। वहीं बीसलपुर बांध तक पहुंचने वाले सभी मार्ग तो खराब है ही। यहां बीसलपुर बांध के दह से बनास में की गई पानी की निकासी के दौरान चारों तरफ गहरी खाइयों में तब्दील हो चुका है। जहां पहले कई मौतें हो चुकी है।