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अविकानगर में राष्ट्रीय भेड़ एवं ऊन मेले में प्रदर्शनी के माध्यम से तकनीकी व उत्पादों से होंगे रुबरु

मेले में विभिन्न सरकारी व गैर-सरकारी संगठनों द्वारा अपने तकनीकों व उत्पादों की प्रदर्शनी भी लगाई जाएगी।

टोंकDec 08, 2017 / 08:59 am

pawan sharma

तैयारियों का जायजा

मालपुरा अविकागनर में आयोजित राष्ट्रीय भेड़ एवं ऊन मेले की तैयारियों का जायजा लेते संस्थान निदेशक डॉ. अरुण कुमार तोमर।

मालपुरा. केन्द्रीय भेड़ एवं ऊन अनुसंधान संस्थान अविकानगर में 8 दिसम्बर को राष्ट्रीय भेड़ एवं ऊन मेले का आयोजन किया जाएगा। संस्थान निदेशक डॉ. अरूण कुमार तोमर ने बताया कि मेले की शुरुआत मुख्य अतिथि केन्द्रीय कृषि एवं कल्याण राज्य मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत करेंगे।
समारोह में सांसद सुखबीर सिंह जौनापुरिया, विधायक कन्हैयालाल चौधरी, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद नई दिल्ली के उपमहानिदेशक (पशु विज्ञान) डॉ. जे. जैना, जिला प्रमुख सत्यनारायण चौधरी, जिला कलक्टर सुबेसिंह यादव, केन्द्रीय ऊन विकास बोर्ड के कार्यकारी निदेशक जे. के. मीना, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के सहायक महानिदेशक डॉ. आर. एस. गांधी, राष्ट्रीय अश्व अनुसंधान हिसार के निदेशक डॉ. जी. एन. त्रिपाठी, केन्द्रीय बकरी अनुसंधान मथुरा के निदेशक डॉ. एम. एस. चौहान, राष्ट्रीय शुष्क बागवानी बीकानेर के निदेशक डॉ. पी. एल. सरोज, राष्ट्रीय ऊंट अनुसंधान केन्द्र बीकानेर के निदेशक डॉ. एन. वी. पाटील, केन्द्रीय भेड़ फार्म हिसार के निदेशक डॉ. एल. सी. रंगा होंगे। मेले में विभिन्न संस्थानों के निदेशक, इफको एवं कृभको के अधिकारी भी हिस्सा लेंगे।

मेले को लेकर संस्थान में तैयारियां पूर्ण हो गई है। मेले में विभिन्न सरकारी व गैर-सरकारी संगठनों द्वारा अपने तकनीकों व उत्पादों की प्रदर्शनी भी लगाई जाएगी। कार्यक्रम को लेकर संस्थान निदेशक ने गुरुवार को तैयारियों का जायजा लिया।

संस्थान का परिचय
अविकानगर संस्थान के बारे में बताते हुए संस्थान निदेशक डॉ. अरुण कुमार तोमर ने बताया कि संस्थान की स्थापना 196 2 में भेड़ एवं ऊन के अनुसंधान के उद्देश्य से की गई थी।

इसके बाद देश में 196 3 में हिमाचल प्रदेश के कुल्लु जिले के गडसा, 1965 में तमिलनाडु राज्य के मन्नावन्नूर में उत्तरी शीतोष्ण अनुसंधान केन्द्र व 1974 में दक्षिणी क्षेत्रीय अनुसंधान केन्द्र बीकानेर में शुष्क अनुसंधान केन्द्र के नाम से तीन क्षेत्रीय अनुसंधान केन्द्र स्थापित किए गए।
संस्थान पशु अनुसंधान क्षेत्र में देश का तीसरा सबसे बड़ा अनुसंधान संस्थान है, जो कि 1510 हैक्टेयर भूमि में फैला हुआ है। संस्थान की ओर से पशु चिकित्सकों, महिला कारीगरों एवं किसानों की कुशलता एवं दक्षता को सुधारने के लिए भेड़ एवं ऊन के क्षेत्र में प्रशिक्षण प्रदान करता है।
विद्यार्थियों एवं पीएचडी कार्यक्रमों के तहत देश के 12 विश्वविद्यालय एवं अन्य संस्थानों का अनुसंधान की सुविधा प्रदान करता है। संस्थान की ओर से किसानों के लिए मेरा गांव मेरा गौरव योजना, संासद आदर्श ग्राम योजना, फार्मस फस्ट तकनीकी स्थानान्तरण के क्षेत्र में राजस्थान, तमिलनाडु, हिमाचलप्रदेश, महाराष्ट्र, उत्तरप्रदेश, झारखण्ड, कर्नाटका के 54 गांव के 42 हजार किसानों को उन्नत नस्ल के मेंढे, टीकाकरण, दवाइयां, पशु बीमारियों के निदान सहित कृत्रिम गर्भाधान की सुविधाएं प्रदान की जा रही है।
संस्थान की ओर से समय-समय पर किसानों का आर्थिक स्तर सुधारने के लिए भेड़ों की नस्ल सुधार में अविशान भेड़ विकसित कर एक बार में दो-तीन मैमने पैदा करने की क्षमता तथा अन्य भेड़ों की तुलना में 30 प्रतिशत अधिक उत्पादन देती है। उच्च गुणवत्ता की महीन ऊन उत्पादन के लिए भारत मैरिनो, व गलीचों के ऊन उत्पादन के लिए अविकालीन भेड़ विकसित की।

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