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अधिकारी बजा रहे ढोल, हर साल बढ़ रहा है नामांकन, फिर क्यों पांच साल में 549 स्कूल मर्ज कर दिए

टोंक. सरकारी विद्यालयों में ढोल नगाड़े बजाकर प्रवेशोत्सव मनाने का दौर जारी है।

टोंकMay 07, 2018 / 12:14 pm

Kamal Bairwa

प्रवेशोत्सव

लाम्बाहरिसिंह में प्रवेशोत्सव के तहत रैली निकालते विद्यार्थी व शिक्षक।

टोंक. सरकारी विद्यालयों में ढोल नगाड़े बजाकर प्रवेशोत्सव मनाने का दौर जारी है। दो चरणों में चलने वाले प्रवेशोत्सव पखवाड़े के तहत शिक्षक घर-घर दस्तक दे रहे हैं। विभागीय अधिकारी भी दावा कर रहे हैं कि इससे सरकारी विद्यालयों में नामांकन बढ़ रहा है। जबकि वास्तविकता इससे परे है। कई विद्यालयों में नामांकन का लक्ष्य पूरा नहीं हो पा रहा। इसी का परिणाम है कि पिछले पांच वर्षों में साल-दर-साल जिले के 549 राजकीय प्राथमिक व उच्च प्राथमिक विद्यालयों को नजदीक के बड़े विद्यालयों में मर्ज किया जा चुका है।
उल्लेखनीय है कि शिक्षा विभाग की ओर से जिले में इन दिनों प्रवेशोत्सव का प्रथम चरण चलाया जा रहा है। यह 26 अप्रेल से 9 मई तक चलेगा। इसी प्रकार दूसरा चरण 19 जून से 3 जुलाई तक चलाया जाएगा। इसके निर्देश शिक्षा निदेशक ने विभाग के संस्था प्रधानों को जारी किए हैं। इसके तहत प्रतिदिन अलग-अलग कार्यक्रमों के माध्यम से सरकारी विद्यालयों में नामांकन बढ़ाने के प्रयास किए जा रहे हैं। इसमें नवीन बच्चों, ड्रॉप-आउट का नाम जुड़वाने, ढोल-नगाड़ों के बीच सम्मानपूर्वक बच्चों को विद्यालय लाने, रैली व अन्य जागरूकता अभियान के माध्यम से अभिभावकों को शिक्षा के लिए प्रेरित करने के निर्देश है।
विभाग के मुताबिक इस बार भी नामांकन में दस फीसदी बढ़ोतरी का लक्ष्य मिला है। ऐसे में 59 हजार 585 के नामांकन के साथ दस फीसदी विद्यार्थियों की बढ़ोतरी कर सरकारी विद्यालयों से जोडऩे का लक्ष्य है। उल्लेखनीय है कि जिले में 587 प्राथमिक व 482 उच्च प्राथमिक विद्यालय शामिल है।
घर-घर बजा रहे कुंदी
प्रवेशोत्सव के तहत शिक्षक घर-घर पहुंच रहे हैं। इस बीच कॉल-बेल तो कहीं कुंदी बजाकर पूछ रहे है कि इसका कारण यह है कि प्रत्येक शिक्षक को भी विभाग की ओर से नामांकन का लक्ष्य मिला है। इसके तहत कुछ देर पढ़ाने के बाद शिक्षक गांव में नवप्रवेशित बालकों को तलाश रहे है। इसके बावजूद नामांकन की स्थिति महज खानापूर्ति साबित हो रही है।
मर्ज करने का यह कारण
कम नामांकन व अनार्थिक साबित हो रहे 549 विद्यालयों को पिछले पांच वर्षों में समीप के बड़े विद्यालयों में मर्ज कर किया गया है। इसके साथ ही मर्ज विद्यालयों का प्रशासनिक नियंत्रण भी बड़े विद्यालयों के प्रधानाध्यापकों के हाथों में पहुंच गया। विभागीय अधिकारियों के अनुसार एकीकरण के बाद जहां विद्यालयों में नामांकन संख्या बढ़ेगी, वहीं शिक्षकों की कमी भी दूर होगी।

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