दूसरे सत्र में बिट्स पिलानी की डॉ. पुष्पलता ने कहा की प्रभावी संवाद दक्षता के बिना अध्यापन अच्छा हो ही नहीं सकता और न ही विद्यार्थी को प्रभावित किया जा सकता। एक अच्छे अध्यापक को कुषल वक्ता एवं संवादों का प्रयोग अच्छे तरीके से करना आना चाहिए। अन्यथा विद्यार्थी हित में अपने ज्ञान का उपयोग एक अध्यापक सही ढंग से नहीं कर पाएगा।
तीसरा सत्र अध्यापन में संवाद दक्षता का विकास पर आधारित रहा। इस विषय पर डॉ. संजय कुमार ने एक अध्यापक को अपनी संवाद दक्षता विकसित करने के कई मौखिक व व्यावहारिक सिद्धान्त बताए। साथ ही एक सामान्य वक्ता की संवाद दक्षता में क्या क्या कमियां होती है उनकी और भी इंगित किया। तीनों ही सत्रों में प्रतिभागियों की शंकाओं का समाधान किया गया और अंत में संयोजक डॉ. एस आषा द्वारा प्रतिभागियों व अतिथियों का धन्यवाद ज्ञापित किया।