script‘संवादों का प्रयोग आना जरूरीÓ | 'Use of dialogues must come.' | Patrika News
टोंक

‘संवादों का प्रयोग आना जरूरीÓ

ज्ञानगंगा प्रशिक्षण कार्यक्रमटोंक. राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय में चल रहे ज्ञानगंगा प्रशिक्षण में मंगलवार को तीन सत्रों का आयोजन किया गया। प्रशिक्षण आयोजकों एवं प्रतिभागियों के मध्य संवाद से शुरू हुआ। प्रथम चरण में टीचिंग लिट्रेचर क्रॉस क्लचरली विषय पर डॉ. आरती सिंह ने व्याख्यान प्रस्तुत किया।

टोंकMar 02, 2021 / 08:53 pm

jalaluddin khan

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‘संवादों का प्रयोग आना जरूरीÓ

‘संवादों का प्रयोग आना जरूरीÓ
ज्ञानगंगा प्रशिक्षण कार्यक्रम
टोंक. राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय में चल रहे ज्ञानगंगा प्रशिक्षण में मंगलवार को तीन सत्रों का आयोजन किया गया। प्रशिक्षण आयोजकों एवं प्रतिभागियों के मध्य संवाद से शुरू हुआ। प्रथम चरण में टीचिंग लिट्रेचर क्रॉस क्लचरली विषय पर डॉ. आरती सिंह ने व्याख्यान प्रस्तुत किया।
सिंह ने कहा कि सामान्यत: आम पाठक एक ही प्रकार के साहित्य का पठन पाठन करता है, लेकिन आज के समय में विभिन्न प्रकार के अलग अलग साहित्य का अध्ययन और उनके आपसी सम्बन्धों पर भी ध्यान देना आवश्यक है। इससे सांस्कृतिक आदान प्रदान होता है और जीवन को एक नई दिशा मिलती है।

दूसरे सत्र में बिट्स पिलानी की डॉ. पुष्पलता ने कहा की प्रभावी संवाद दक्षता के बिना अध्यापन अच्छा हो ही नहीं सकता और न ही विद्यार्थी को प्रभावित किया जा सकता।

एक अच्छे अध्यापक को कुषल वक्ता एवं संवादों का प्रयोग अच्छे तरीके से करना आना चाहिए। अन्यथा विद्यार्थी हित में अपने ज्ञान का उपयोग एक अध्यापक सही ढंग से नहीं कर पाएगा।

तीसरा सत्र अध्यापन में संवाद दक्षता का विकास पर आधारित रहा। इस विषय पर डॉ. संजय कुमार ने एक अध्यापक को अपनी संवाद दक्षता विकसित करने के कई मौखिक व व्यावहारिक सिद्धान्त बताए।

साथ ही एक सामान्य वक्ता की संवाद दक्षता में क्या क्या कमियां होती है उनकी और भी इंगित किया। तीनों ही सत्रों में प्रतिभागियों की शंकाओं का समाधान किया गया और अंत में संयोजक डॉ. एस आषा द्वारा प्रतिभागियों व अतिथियों का धन्यवाद ज्ञापित किया।
इससे पूर्व डॉ. यासमीन फातमा ने सभी विषय विशेषज्ञों का परिचय प्रस्तुत किया। इस अवसर पर आयोजन सचिव डॉ. महेश कुमावत, समिति सदस्य डॉ. सुलोचना मीना, डॉ. अजय कुमार मीना, डॉ. सम्पत सिंह मीना, डॉ. श्याम सोनी आदि मौजूद थे।

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