विभाग की जानकारी अनुसार शहर के अधिकतर क्षेत्र में 48 घंटों में एक बार पानी दिया जा रहा है। इसमें भी जलापूर्ति का समय महज 30 मिनट ही है। ढलान व चढ़ाई वाले टोंक शहर में ये जलापूर्ति पूरे दबाव के साथ नहीं होती। ऐसे में पानी पूरे दबाव से नहीं आकर काफी धीमा आता है। ऐसे में उपभोक्ता को कई बार एक से दो मटकी पानी मिलना भी मुश्किल हो जाता है। मजबूरन उन्हें हैण्डपम्प या फिर निजी टैंकरों का सहारा लेना पड़ रहा है। वहीं इससे समय तथा राशि खर्च करनी पड़ रही है।
नल पर लगी रहती है टकटकीआपूर्ति के तय समय लोगों की टकटकी नलों पर लगी रहती है कि कब पानी आ जाए, लेकिन हालात यह है कि किसी के यहां पांच घंटे बाद तो किसी के यहां दस घंटे बाद तक पानी आ रहा है। शहर के कई मोहल्लों में नलों पर सुबह से शाम तक बर्तनों एवं लोगों का जमघट लगा रहता है। कई घरों की हालत तो यह है कि परिवार का एक सदस्य तो
रोजगार पर जाना छोड़ पानी की व्यवस्था में लगा रहता है।
सपना बना 24 घंटे में पानी विगत महीनों में अनेक बार निर्माणाधीन पम्प हाउस एवं टंकियों का जनप्रतिनिधि दौरा कर चुके हैं। हर बार अभियंताओं ने शीघ्र 24 घंटे में एक बार पानी दिए जाने का आश्वासन दिया, लेकिन इसके बाद कुछ नहीं हुआ।
कर रहे हैं व्यवस्था
पेयजल के बारे में पूछने के लिए एईएन राधेश्याम गुप्ता को फोन लगाया तो बंद मिला। वहीं कार्यवाहक एसई राजेश गोयल का कहना है कि विद्युत कटौती के कारण व्यवस्था गड़बड़ाई हुई है। निर्धारित समय पर सप्लाई नहीं हो रही है।
निर्धारित समय पर पानी देना प्राथमिकता है। अगर नहीं मिल पा रहा है तो लापरवाही है। दो नई टंकियों से सप्लाई शुरू होने वाली है। इससे सप्लाई व्यवस्था में सुधार होगा।
अजीत मेहता, विधायक, टोंक
उपभोक्ताओं के फोन रिसीव कर अभियंताओं को संतुष्ट करना चाहिए। एक्सईएन फटकार लगा निर्धारित समय में पेयजल आपूर्ति करने के निर्देश दिए गए है।
आईडी खान, मुख्य अभियंता,जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग, जयपुर।