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‘व्यंग्य के माध्यम से लाते हैं बुराइयों को सामनेÓ

ज्ञान गंगा प्रशिक्षण कार्यक्रम का समापनटोंक. राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय में चल रहे ज्ञान गंगा प्रशिक्षण कार्यक्रम का समापन शनिवार को हुआ। अन्तिम दिन कार्यक्रम तीन सत्रों में आयोजित किया गया। प्रथम दो सत्रों में डॉ नादिरा खातून जे.डी.बी. गल्र्स कॉलेज कोटा और डॉ. हुसैन रजा खान राजस्थान विवि जयपुर के सह आचार्यों के व्याख्यान हुए।

टोंकFeb 27, 2021 / 08:08 pm

jalaluddin khan

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‘व्यंग्य के माध्यम से लाते हैं बुराइयों को सामनेÓ
ज्ञान गंगा प्रशिक्षण कार्यक्रम का समापन
टोंक. राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय में चल रहे ज्ञान गंगा प्रशिक्षण कार्यक्रम का समापन शनिवार को हुआ। अन्तिम दिन कार्यक्रम तीन सत्रों में आयोजित किया गया। प्रथम दो सत्रों में डॉ नादिरा खातून जे.डी.बी. गल्र्स कॉलेज कोटा और डॉ. हुसैन रजा खान राजस्थान विवि जयपुर के सह आचार्यों के व्याख्यान हुए।
डॉ. नादिरा खातून ने दास्तान और नाविल की तदरीस तथा डॉ. हुसैन रजा खा ने उर्दू नस्र में तन्जो मिजाह विषय पर व्याख्यान प्रस्तुत किए। डॉ. नादिरा खातून ने दास्तान और नाविल की विभिन्न स्थितियों पर प्रकाश डाला।
उन्होंने बताया कि दास्तान क्या होती है, उसके कौन-कौन से रूप होते हैं और दास्तान का हमारे जीवन में क्या महत्व होता है। डॉ. नादिरा ने बताया कि दास्तान साहित्य की एक ऐसी विधा है, जो जीवन में आनन्द और मनोरंजन के साथ जीवन को नई दिशा भी प्रदान करती है।
दास्तान वास्तव में काल्पनिक होते हुए भी हमें यथार्थ जीवन का अनुभव करवाते हुए जीवन को जीना सिखाते हैं। खातून ने दास्तान के प्रारम्भिक इतिहास और धीरे-धीरे उसके जवान रूप से साहित्यिक रूप में विकासित होने की प्रक्रिया को भी स्पष्ट किया।
दूसरे सत्र में डॉ. हुसैन रजा खान ने उर्दू नस्र में तन्जो मिजाह विषय पर प्रकाश डाला। रजा ने उर्दू के गद्य साहित्य को आधार बना कर उसके मकसद उसकी भावना को स्पष्ट किया। रजा ने बताया कि जब कोई रचनाकार साहित्य में व्यंग्य की भावना प्रकट करता है तो उसका व्यापक उद्देश्य और मकसद होता है।
उन व्यंग्यों के माध्यम से मानव समाज की बुराइयों को सामने लाना उनके प्रति जागरूकता पैदा कर उन्हें दूर करना होता है। उर्दू साहित्य के इस प्रकार के तन्जो मिजाह वाले विभिन्न लेखकों के उदाहरण प्रस्तुत कर उन्होंने बात को पूरी प्राथमिकता से प्रकट किया। इस प्रसंग में अन्य भाषाओं के प्रसिद्ध व्यंग्यकारों की आपसी तुलना करते हुए इस विषय को रोचक ढंग से प्रस्तुत किया।
तीसरा और अन्तिम चरण समापन समारोह का रहा। इसमें मुख्य अतिथि नगर परिषद सभापति अली अहमद थे। सभापति ने प्रशिक्षण कार्यक्रम को आज की आवश्यकता बताया।

अध्यक्षता प्राचार्य अशोक कुमार सामरिया ने की। आयुक्तालय प्रतिनिधि डॉ. शिवांगना शर्मा ने कार्यक्रम को ऐतिहासिक बताया। द्वितीय सत्र के अंत में डॉ. सादिक अली ने सभी का आभार व धन्यवाद ज्ञापित किया।
कार्यक्रम में उर्दू विभाग के डॉ. राशिद मियां, प्रो. कृष्णगोपाल मीणा, प्रो. मोहम्मद बाकिर हुसैन, प्रो.कजोड़ लाल बैरवा आदि मौजूद थे। सह समन्वयक डॉ. राशिद मियां ने इस सत्र के अन्त में आभार व्यक्त किया।

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