संत मिलन के बाद आचार्य ज्ञान सागर को बैण्डबाजों के साथ दिगम्बर जैन मन्दिर लाया गया। आचार्य ने प्रवचन में कहा कि मनुष्य जीवन की सार्थकता व सफलता के लिए जीवन में योग साधना जरूरी है। मनुष्य जीवन में परस्पर प्रेम भाव होना आवश्यक है। पे्रम के अभाव में जीवन कटूता व नीरस हो जाता है।
उन्होंने राजस्थान के गौरव की जानकारी देते हुए स्वतंत्रता संग्राम में जैन समाज की अहम् भूमिका बताई। गौरतलब है कि आचार्य ज्ञान सागर 20 वर्ष पहले देवली आए थे, जिसका जिक्र उन्होंने प्रवचन में भी किया। इससे पहले समाज के लोगों ने मुनि को श्रीफल भेंटकर देवली में अधिकाधिक समय रूकने का आग्रह किया।
प्रवचन के दौरान अनिता दीदी ने मुनि का व्यक्तित्व परिचय दिया। साथ ही स्थानीय श्रद्धालुओं को जहाजपुर में होने वाले युवा सम्मेलन व पंच कल्याण महोत्सव में शामिल होने को लेकर प्रेरित किया। उन्होंने बताया कि जहाजपुर स्थित स्वस्तिधाम में आगामी 31 जनवरी से 7 फरवरी तक पंचकल्याणक महोत्सव होगा। उक्त महोत्सव आचार्य ज्ञानसागर के सान्निध्य में आयोजित होगा। पंचकल्याण महोत्सव स्वस्ति धाम में भगवान सुव्रतनाथ के नवनिर्मित जहाजनुमा आकृति के मन्दिर में होगा।